रायपुर। छत्तीसगढ़ में मनरेगाकर्मी पिछले 62 दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे है। इस दौरान 12 हजार से अधिक मनरेगा कर्मचारियों ने आंदोलन के 62वें दिन महारैली का आयोजन कर सामूहिक त्यागपत्र सौंप दिया है। सभी ने प्रदर्शन के बाद एसडीएम को इस्तीफा सौपा है।
कर्मचारियों ने अपने 21 सहायक परियोजना अधिकारियों की सेवा समाप्ति से क्रोधित कर्मचारियों ने यह कदम उठाकर छत्तीसगढ़ के इतिहास में इसे काला दिन माना है। कर्मचारियों का कहना है कि, यह पहला मामला होगा कि किसी भी कर्मचारी संगठन ने इससे पहले इतना बड़ा कदम उठाया हो। बर्खास्तगी आदेश को संवैधानिक अधिकारों का हनन करार देते हुए आदेश की प्रतियां जलाई। रैली में 8000 से अधिक कर्मचारी शामिल हुए।
सरकार कर्मचारियों के साथ कर रही छल: प्रांताध्यक्ष
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांत अध्यक्ष चंद्रशेखर अग्निवंशी एवं कार्यकारी अध्यक्ष राधेश्याम कुर्रे ने बताया कि सहायक परियोजना अधिकारियों की बर्खास्तगी के आदेश की महासंघ घोर निंदा करता है और इसे तत्काल निरस्त नहीं करने के कारण 12721 कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा का कदम उठाया। कांग्रेस सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि समस्त संविदा कर्मचारियों की नियमितीकरण एवं किसी भी संविदा कर्मचारी की छटनी नहीं की जाएगी। लेकिन इसके विपरीत दंडात्मक कार्रवाई की गई है।
उन्होंने आगे कहा कि, हमारी दो सूत्रीय मांग चुनावी जन घोषणा पत्र को आत्मसात करते हुए समस्त मनरेगाकर्मियों का नियमितीकरण किया जावे एवं नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक ग्राम रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण करते हुए समस्त मनरेगाकर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू करने की है।
सभी कर्मचारियों से मांगा समर्थन
महा संघ के प्रवक्ता सूरज सिंह ठाकुर ने कहा कि सरकार की कथनी और करनी में फर्क है। यह कर्मचारी जगत के लिए संवेदनहीनता की पराकाष्ठा वाला आदेश है। हम समस्त कर्मचारी जगत से इसके विरोध में सड़क की लड़ाई लड़ने के लिए अपील करते हैं, यह आंदोलन बिना लक्ष्य पूर्ति के समाप्त नहीं होने वाला है।
Report Raipur Bureau-Joy Fernandes.