आगामी विधान सभा चुनाव के चलते कांग्रेस शासित राज्यों में ED की पैनी नजर.!!

खंगाले जा रहे हैं छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मंत्रियों – विधायकों के चुनावी हलफनामें..

News Desk : लोकसभा चुनाव 2024 में होना है उसके पहले साल के अंत में कांग्रेस शासित दो प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं. हालांकि विधान सभा चुनाव कुल चार राज्यों मे होना है ये राज्य हैं छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्‍थान और तेलंगाना लेकिन इनमें से कांग्रेस शासित दो ही राज्य हैं जहाँ चुनाव होने हैं वो हैं राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़. अब आपको बताते हैं कि इन दो राज्यों में ही ED का फोकस है मतलब जहाँ वर्तमान में कांग्रेस सरकार है.

अब सवाल यह है कि जहाँ भाजपा शासित राज्य है जैसे मध्यप्रदेश वहाँ ED का ध्यान क्यों नहीं है? तेलंगाना में हालांकि वर्तमान में केसीआर मुख्यमंत्री हैं उन्हें भी घेरने की कोशिश पूरी तरह से हो रही है दिल्ली शराब घोटाले वाले मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री की बेटी पर जाँच जारी है. लेकिन कांग्रेस शासित दो राज्य जहाँ चुनाव होने हैं छत्तीसगढ़ और राजस्थान उनमें ED की दिलचस्पी ज्यादा दिखाई दे रही है. इन दोनों राज्यों में चुनाव से जुड़ी गतिविधियां शुरू भी हो चुकी हैं. विभिन्‍न दलों के नेता अनेक बहानों से लगातार जनता के बीच जा रहे हैं. आमलागों को राहत पहुंचाने वाले कई फैसले भी लिए जा रहे हैं. कई घोषणाएं भी की जा रही हैं. इन सबके बीच बड़ी खबर सामने आई है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां (सीबीआई, ईडी) इन दोनों प्रदेशों के विधायकों और मंत्रियों के चुनावी हलफनामे को खंगाल रही हैं. पिछले चुनाव में सौंपे गए हलफनामे में दिए गए संपत्ति के ब्‍योरों का मिलान किया जा रहा है. किसी तरह का मामला पकड़ में आने पर ये एजेंसियां बड़ा कदम उठा सकती हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई और ईडी राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़ के विधायकों एवं मंत्रियों के चुनावी हलफनामे खंगालने में जुटी हैं. दरअसल, जांच एजेंस‍ियां मंत्रियों-विधायकों की ओर से चुनावी हलफनामे में दिए गए संपत्ति के ब्‍योरों का जमीन पर मिलान कर रही है. इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सीबीआई और ईडी कांग्रेस नेताओं पर पहले से दर्ज मामलों पर आगे बढ़ने के साथ इन्‍हें और खंगालने में जुटी है. बता दें कि राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़ के कुछ नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के समक्ष कुछ मामले विचाराधीन भी हैं. इनमें कई दिग्‍गज नेताओं के साथ ही उनके रिश्‍तेदारों के नाम भी शामिल हैं.

सवाल यह उठता है कि जाँच एजेंसियों का दायरा सिर्फ कांग्रेस शासित राज्यों में ही क्यों. . ? केंद्रीय जाँच एजेंसियों की तरफ से अब तक जितने भी मामले प्रकाश में आए हैं वो सिर्फ केंद्र सरकार के विपक्ष में राजनैतिक दलों पर.. केंद्र सरकार मे शामिल भाजपा और उनके सहयोगी दलों पर क्यों नहीं ..??

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