हिदूं धर्म के अनुसार भगवान शिव जल चढ़ाने से प्रसन्न होते हैं. ऐसे में शिव भक्त भगवान को जल अर्पित करते हैं. कहा जाता है कि यदि कोई सच्चे मन से भगवान को जल चढ़ाता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है. हालांकि इस दौरान हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए.
हम मंदिरों में अक्सर देखते हैं कि भीड़ होने के चलते हम कैसे भी और किसी भी दिशा में भगवान को जल अर्पित कर देते हैं. ऐसे में आपको लाभ की जगह हानि हो सकती है.
भगवान शिव जितनी जल्दी खुश होते हैं तो उतनी जल्दी रुष्ठ भी होते हैं ऐसे में शास्त्रों में भगवान को जल चढ़ाने के सही तरीके का उल्लेख किया गया है. शास्त्रों में बताया गया है कि हमें शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए साथ ही जल चढ़ाने के लिए उचित दिशा कौन सी है.
इस दिशा में न हों खड़े-
हिन्दू धर्म के अनुसार शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय हमें कभी भी पूर्व दिशा की ओर मुंह नहीं करना. कहा जाता है इस दिशा में भगवान शिव का प्रवेश द्वार होता है ऐसा में इस दिशा में खड़े होने पर द्वार में रुकावट पैदा होती है,
जिससे भगवान रुष्ठ हो जाते हैं. वहीं शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख है कि हमें पश्चिम दिशा की ओर खड़े होकर भी जल नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि इस दिशा में भगवान की पीठ होती है. ऐसे में इस दिशा में खड़े होकर कभी जल न अर्पित करें.
जल चढ़ाने के लिए सही दिशा-
अधिकतर लोगों को जल चढ़ाने की सही दिशा के बारे में नहीं पता होता है, ऐसे में वो किसी भी दिशा में जल अर्पित कर देते हैं अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं तो रुक जाएं. शास्त्रों में जल चढ़ाने की सही दिशा का उल्लेख किया गया है.
इसमें बताया गया है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए सही दिशा उत्तर है. उत्तर दिशा में मुंह रखकर शिवलिंग पर जल चढ़ाना श्रेष्ठ माना गया है. इस दिशा में मुंह करके जल चढ़ाने से शिव भगवान प्रसन्न हो जाते हैं और मनोकामना जल्द पूरी होती है.
जल चढ़ाने के बाद न करें परिक्रमा-
हम अक्सर देखते हैं कि जल चढ़ाने के बाद लोग शिवलिंग की परिक्रमा करते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इसे शास्त्रों में गलत माना गया है. ऐसा इसीलिए कहा गया है क्योंकि हमारे द्वारा अर्पित जल पवित्र हो जाता है और परिक्रमा के दौरान इसे लांघना अशुभ हो जाता है. इसके साथ ही भगवान शिव को कभी भी तुलसी नहीं अर्पित करनी चाहिए.
Input : airnews.today