दंतेवाड़ा की बैलाडिला लौह अयस्क पहाड़ियों में एनएमडीसी 1968 से उत्पादन कर रही है। एनएमडीसी ने अपनी शुरुआत भांसी गांव में कैम्प लगाकर की जहां पहला स्कूल परियोजना ने 1966 में बैलाडीला आयरन और प्रोजेक्ट स्कूल के नाम से पांचवी कक्षा तक के लिए खोला और धीरे-धीरे शिक्षा की जोत जलते हुए आज स्कूल ने बारहवीं कक्षा तक का सफर तय करते हुए अपना 56 वा वार्षिक उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया।
बैलाडीला की लाल पहाड़ियों की नीचे बी आई ओ एम स्कूल के प्रांगण में बच्चों ने अपनी प्रस्तुति दी जिसमें सभी राज्यों का समावेश करते हुए बच्चों ने एक से बढ़कर एक नृत्य किया इस दौरान स्कूल के बच्चों ने प्रस्तुति देते हुए बॉर्डर में लड़ रहे सैनिक की शहादत पर जब अपने मृतक साथियों के शव को कंधे में उठाकर ले जाते हुए प्रस्तुति दी उस दौरान सभी की आंखों से आंसू छलक पढ़े। बड़ी संख्या में लोग कार्यक्रम देखने पहुंचे थे। आपको बता दें की इस स्कूल से पास आउट होकर एक से एक बच्चे निकले हैं जो देश ही नहीं विदेश में भी अपने देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
स्कूल की शिक्षिका अनुपमा भद्र ने बताया कि मैं खुद इस स्कूल में पढ़ी और आज यहां पर लेक्चरार हूं हम लोगों ने आसाम से लेकर नेपाल कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक की नृत्य की हमारे बच्चों ने प्रस्तुति दी है। एकता में अखंडता की मिसाल हमारा स्कूल बना है आज हमें बहुत खुशी है कि आज हमारे स्कूल का 56 वा वर्षगांठ बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है हम लोगों ने जो स्टेज बनाया है वह भी पूरी बस्तर की झलकियां दर्शाते हुए हमारे बच्चों ने बनाया है और यह हम सब के लिए गर्व की बात है। ऐसे आदिवासी बहुल नक्सल क्षेत्र मैं हम शिक्षा की जोत बरसों से जलाए हुए हैं जो दिन प्रतिदिन नए मुकाम हासिल कर रही है।
साभार : आजाद सक्सेना दंतेवाड़ा