News Edition 24 Desk: भारतीय संस्कृति में गुरू को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। आज यानी 13 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा मतलब गुरु पूर्णिमा है। इस दिन गुरु की पूजा करने की परंपरा है। गुरु का महत्व भगवान से भी ज्यादा माना गया है। इसलिए श्रीराम, श्रीकृष्ण और हनुमान जी ने भी गुरु से ही ज्ञान हासिल किया था। श्रीराम के गुरु वशिष्ठ मुनि और विश्वामित्र थे। श्रीकृष्ण ने उज्जैन में सांदीपनि ऋषि से ज्ञान हासिल किया था। हनुमान जी ने सूर्यदेव को गुरु बनाया था। गुरु की बताई गई शिक्षा को जीवन में उतारने से हमें परेशानियों से लड़ने का और उन्हें दूर करने का साहस मिलता है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को गुरू पूर्णिमा की बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने गुरू पूर्णिमा को लेकर कहा है कि भारतीय संस्कृति में गुरू को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। महाभारत और वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास के अवतरण दिवस आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भारत में गुरू पूर्णिमा मनाने की परम्परा रही है। इस दिन गुरूओं के अमूल्य ज्ञान और मार्गदर्शन के प्रति सम्मान और आभार प्रकट किया जाता है। गुरू जीवन में अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर ज्ञान की रोशनी लेकर आते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरूओं द्वारा दी गई अमूल्य शिक्षा को जीवन में उतारकर हमें आगे बढ़ना चाहिए.
शास्त्रों के मुताबिक हनुमान जी जब शिक्षा ग्रहण करने के योग्य हुए तो उनकी माता अंजनी और पिता केसरी ने उन्हें सूर्य देव के पास भेज दिया। हनुमान जी ने सूर्य देव से निवेदन किया कि वे उनके गुरु बनें और सभी वेदों का ज्ञान दें। सूर्य देव ने हनुमान जी से कहा कि मैं तो एक पल के लिए भी नहीं रुक सकता। मुझे लगातार चलते रहने होता है। मैं हमेशा रथ पर रहता हूं, ऐसे में मैं तुम्हें ज्ञान नहीं दे सकता हूं। सूर्य देव की बातें सुनकर हनुमान जी बोले कि आपको कहीं रुकने की जरूरत नहीं है। मैं तो आपके साथ चलते-चलते ही ज्ञान हासिल कर लूंगा। मुझे शास्त्रों का ज्ञान देते जाइए, मैं इसी अवस्था में आपके साथ आपसे सारी बातें समझ लूंगा। हनुमान जी को इस तरह से ज्ञान देने के लिए सूर्य देव मान गए।
सूर्य देव थे भगवान हनुमान के गुरु
कहा जाता है कि सूर्य देव ने हनुमान जी को चलते-चलते ही सारे वेदों का ज्ञान दिया। इस तरह सूर्य देव की कृपा से ही हनुमान जी को ज्ञान प्राप्त हुआ। वहीं एक दिन विश्वामित्र जी राजा दशरथ के पास पहुंचे, उन्होंने दशरथ जी से कहा कि वन में एक ताड़का नाम की राक्षसी है, जो ऋषि-मुनियों को सता रही है। श्रीराम और लक्ष्मण को मैं अपने साथ ले जाना चाहता हूं कि ताकि श्रीराम वन में ताड़का और अन्य राक्षसों का वध कर सके और संतों को इनके आतंक से मुक्ति मिल सके। शुरू में तो दशरथ जी इस बात के लिए तैयार नहीं हुए, लेकिन बाद में विश्वामित्र के समझाने के बाद उन्होंने श्रीराम और लक्ष्मण को वन में जाने की अनुमति दे दी। वन में श्रीराम और लक्ष्मण ने ताड़का के साथ ही कई और राक्षसों का वध कर दिया। इसके बाद विश्वामित्र जी ने श्रीराम और लक्ष्मण जी को ऐसी विद्या दी, जिससे उन्हें भूख न लगे, शरीर में अतुलित बल हो और तेज बना रहे। दिव्य अस्त्र-शस्त्र दिए। भगवान श्रीकृष्ण ने उज्जैन में सांदीपनि ऋषि से 64 दिनों में सारी विद्याएं सीख ली थीं। श्रीकृष्ण के साथ ही बलराम भी थे। उज्जैन में इनकी मित्रता सुदामा से हुई थी।
13 जुलाई के दिन हुआ था महर्षि व्यास का जन्म
गुरुओं की पूजा करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि 13 जुलाई के दिन वेदों के रचनाकार महर्षि व्यास का जन्म हुआ था। गुरु पूर्णिमा को व्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। गुरुओं का स्थान इस संपूर्ण सृष्टि में सबसे बड़ा है। इनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कोई निश्चित दिन नहीं है। किसी भी दिन आप अपने बड़ों से अपने गुरुजनों से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से आपका जीवन सुखमय हो जाता है। ज्ञान रूपी चक्षु को खोलने वाले गुरु की कृपा प्राप्त करने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन विधि विधान से गुरुओं की पूजा करनी चाहिए।
इस साल का गुरु पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण
इस बार गुरु पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस समय कई राज योग बन रहे हैं। इस समय रूचक, भद्र, हंस और शश नाम के 4 राज योग बन रहे हैं। बुध ग्रह के भी अनुकूल स्थिति में होने के वजह से बुधादित्य योग भी है। दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य अपने मित्र ग्रह के साथ बैठे हैं। यह समय भी बहुत लाभदायक और अनुकूल है। इस बार 2022 में पड़ने वाली गुरु पूर्णिमा के दिन बनने वाले विशेष योग से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इसमें ली जाने वाली गुरु दीक्षा या गुरु मंत्र से जीवन सफल हो सकता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुजनों की पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने से मनुष्य के मानसिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। उसका आत्मबल मजबूत होता है। सृष्टि में गुरुजनों का स्थान सबसे ऊपर बताया गया है। बिना गुरुओं के आशीर्वाद के देवों का आशीर्वाद भी असफल रहता है। इसलिए यह आवश्यक है कि गुरु पूर्णिमा के दिन विधि विधान से गुरुओं के चरणों की वंदना की जाए और गुरु से आशीर्वाद प्राप्त किया जाए। इससे मनुष्य के मन का संशय दूर हो जाता है और गुरु से अपने सवालों के जवाब भी मिल जाते हैं।