नई दिल्ली। पांच राज्यों में हुए मतदान के बाद इंटरनल सर्वे और एग्जिट पोल के जो नतीजे सामने आये हैं, उसे देखते हुए कांग्रेस ने बहुमत की संभावना वाले राज्यों में सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे मौके पर पार्टी के विधायकों में टूट की संभावनाओं को देखते हुए पार्टी ने दिग्गज और अनुभवी नेताओं को रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी सौंप दी है।
भूपेश समेत इन नेताओं को दी गई है जिम्मेदारी
दरअसल पूर्व में कुछ राज्यों में ऐन चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी के विधायक दूसरे पाले में चले गए और पार्टी की सरकार नहीं बन सकी। इस तरह के किसी दूसरी पार्टियों के प्रयास को ध्वस्त करने के लिए पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों को अज्ञात स्थान पर ले जाने की तयारी भी कर ली गई है। इसके लिए छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल को उत्तराखंड, अजय माकन को पंजाब और कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार को गोवा में विधायकों को संभालने का जिम्मा सौंपा गया है।
बजट पेश किया, अब उत्तराखंड की जिम्मेदारी
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज ही राज्य का अपना बजट पेश किया है, तय योजना के मुताबिक वे आज ही उत्तराखंड के लिए रवाना हो रहे हैं। अब तक के जो पूर्वानुमान सामने आये हैं, उसके मुताबिक उत्तराखंड में कांग्रेस को 35 से 40 सीटें मिलने का अनुमान है। ऐसे में जीती बाजी हाथ से निकल न जाए, इसके लिए छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल को उत्तराखंड का मोर्चा संभालने का जिम्मा दिया गया है।
विधायकों को एयरलिफ्ट करने की योजना
कांग्रेस पार्टी द्वारा विधायकों को किसी भी तरह की टूट से बचाने के लिए हर तरह की रणनीति तैयार कर ली गई है। बताया जा रहा है कि कुमाऊं और गढ़वाल के सुदूर इलाकों से जीतने वाले विधायकों को सड़क मार्ग से देहरादून पहुंचने में काफी समय लगेगा, ऐसे में उन्हें एयरलिफ्ट कर हेलिकॉप्टर से देहरादून लाने की भी योजना बनाई गई है। यहाँ भूपेश बघेल को सहयोग करने के लिए पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ और मोहन प्रकाश को भी जिम्मेदारी दी गई है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, सांसद दीपेंद्र हुड्डा, स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अविनाश पांडे सहित अन्य रणनीतिकार भी देहरादून पहुंच चुके हैं।
भाजपा भी पीछे नहीं…
भारतीय जनता पार्टी ने भी इस मामले में अपनी तैयारी कर रखी है।
BJP ने पिछले दिनों हालात का जायजा लेने के लिए कैलाश विजयवर्गीय को देहरादून भेजा था। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व CM रमेश पोखरियाल निशंक को भी पार्टी ने सक्रिय कर दिया है, जिसके चलते कांग्रेस को अपनी रणनीति बनानी पड़ी है।
दूध का जला छाछ भी…
गोवा में हुए पिछले चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनते-बनते रह गई थी। पार्टी को इसका मलाल अब भी है। पूर्व की तरह इस बार भी कोई खतरा न हो, इसके लिए गोवा में कांग्रेस के प्रभारी पी चिदंबरम पहले से मौजूद हैं। हॉर्स ट्रेडिंग की किसी भी संभावना से बचने के लिए पार्टी ने कर्नाटक PCC चीफ डीके शिवकुमार को गोवा भेजा है। पूर्व में डीके शिवकुमार ने कर्नाटक में कांग्रेस में विधायकों को टूट-फूट से बचाने में काफी अहम रोल निभाया था। गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस गोवा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। 40 में से कांग्रेस को 18 सीटें मिली थीं। 13 सीटें जीतने के बावजूद BJP ने सरकार बना ली थी। 2022 का चुनाव आते-आते 13 कांग्रेस विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं।
पंजाब का जिम्मा माकन को
राजस्थान में CM अशोक गहलोत और बागी सचिन पायलट के बीच की लड़ाई को खत्म कराने में अजय माकन ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
अजय माकन राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी हैं। राजस्थान में उनकी इस छवि के चलते कांग्रेस ने पंजाब में विधायकों की टूट-फूट रोकने का जिम्मा अजय माकन को सौंपा है।
पंजाब में कांग्रेस को बहुमत की उम्मीद
एग्जिट पोल के उलट पार्टी के इंटरनल सर्वे में कांग्रेस पंजाब में सरकार बनाती नजर आ रही है। अगर एक-दो सीटों का अंतर रहा तो विधायकों की खरीद-फरोख्त का खतरा बढ़ जाएगा, जिसे कांग्रेस किसी भी हालत में होने देना नहीं चाहती। पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में कांग्रेस भी निर्दलीयों या अन्य की मदद से जोड़-तोड़ करके सरकार बनाने की कोशिश करेगी। इसमें माकन का अनुभव कितना काम आएगा यह तो आने वाले दिनों में ही पता चल सकेगा।