
रायपुर। यंगस्टर्स में वैलेंटाइन डे का खास क्रेज हैं। उनके इस दिन को और भी ज्यादा खास बनाते हैं गुलाब।आज के दिन इसकी खुशबू इतनी ज्यादा महकती है कि उसके आगे इस एक दिन में लाखों-करोड़ों रुपए बेमानी हो जाते हैं। छत्तीसगढ़ भी इससे जुदा नहीं हैं। महासमुंद में एक इंजीनियर डच गुलाब की बागवानी कर लाखों कमा रहा है।
जिले के छोटे से गांव मालिडीह में रहने वाले अमर चन्द्राकर के खेतों में उगे नीदरलैंड के डच गुलाब की खुशबू और रंगत न केवल रायपुर बल्कि पड़ोसी राज्य ओडिशा में भी बिखर रही है। अमर पिछले 5 साल से डच गुलाब की साढ़े 4 एकड़ में खेती कर रहे हैं। गुलाब की इस बागवानी में 6 माह में उन्हें गुलाब की स्टीक मिलनी शुरू हो जाती है। रोजाना ढाई हजार गुलाब की स्टिक निकाल पाते हैं।
अमर बताते हैं कि करीब 30 एकड़ में आधुनिक खेती से डच रोज का उत्पादन होता है। छत्तीसगढ़ के साथ ही आस-पास के प्रदेशों में इसकी सप्लाई की जाती है। डच रोज की खेती में सरकार 50 प्रतिशत की सब्सिडी देती है और वे साल का खर्चा काटकर 12 लाख मुनाफा कमा रहे हैं। यही नहीं अपने साथ साथ आसपास के 4 से 5 गांव के करीब 30 उन बेरोजगारों को रोजगार दे रहे हैं, जो पढ़ाई कर घर में बेरोजगार बैठे थे। लेकिन अब रोजगार पाकर अपनी आमदनी कर अपने घर मे मदद कर पा रहे।
छोड़ी मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी
इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई कर चुके अमर की पुणे की एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब लग चुकी थी, लेकिन उन्होंने नौकरी करने की बजाय अपने परम्परागत खेती को आधुनिक रूप से आगे बढ़ाने की ठानी और शासन की योजनाओं से जुड़कर अब अपनी किश्मत खुद बदल रहे हैं। वो अपने बड़े-बड़े फार्म में डच गुलाबों की खेती कर रहा है और यह आय का एक बढ़िया साधन साबित हो रहा है। अमर पढ़े लिखे होने के कारण व राजनीति में नहीं होने के बाद भी अपने क्षेत्र में पहले प्रयास में जिला पंचायत के सदस्य चुने गए हैं। जो कृषि विभाग के सभापति भी हैं। अमर का कहना है कि वो युवाओं के लिए रोलमॉडल सेट करना चाहते हैं।
अंग्रेज लेकर आए थे डच गुलाब!
हॉलैंड (वर्तमान नीदरलैंड) के निवासी डच कहलाते हैं। पुर्तगालियों के बाद डचों ने भारत में अपने कदम रखें। ऐतिहासिक दृष्टि से डच समुद्री व्यापार में निपुण थे। 1602 ई में नीदरलैंड की यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की गई और डच सरकार द्वारा उसे भारत सहित ईस्ट इंडिया के साथ व्यापार करने की अनुमति प्रदान की गई। 1605 ई में डचों ने आंध्र प्रदेश के मुसलीपत्तनम में अपनी पहली फैक्ट्री स्थापित की। जानकारों का मानना है कि भारत में तब से ही उनका पसंदीदा गुलाब का पौधा भी भारत आया और भारत के भी कई हिस्सों में डच की 10 गुलाब की खेती होने लगी।
Report Raipur Bureau-Joy Fernandes.