अनलॉक के बावजूद बस संचालन का कारोबार पटरी पर नहीं लौटा…

सैकड़ों बस कंडेक्टर, क्लीनर और हेल्पर हो चुके हैं बेरोजगार …

News Edition 24 Desk: जगदलपुर: लॉकडाउन से पहले बस्तर संभाग में रायपुर-जगदलपुर मार्ग पर सर्वाधिक बसें चलती थी, इन बसों में कंडेक्टर, क्लीनर और हेल्पर का काम करने वाले सैकड़ों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। लॉक डाऊन के बाद से बसों में यात्रा करने वालों की संख्या में भारी कमी के चलते बस मालिकों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। अनलॉक की प्रक्रिया के बावजूद बस संचालन का कारोबार पटरी पर नहीं लौट पाया है। यात्रियों की किल्लत और सीमित बसों के संचालन के कारण संभागीय बस स्टैंड में इस समय वीरानी छाई दिखती है।

कोरोना संक्रमण भले ही काबू में दिखाई दे रहा हो, लेकिन बसों से सफर करने वाले मुसाफिरों की संख्या अब भी सीमित ही है। बस मालिक मुसाफिरों के मिलने की आस में गिनती के यात्रियों के साथ बसों का संचालन कर रहे हैं, पिछले डेढ़ साल से यही स्थिति कायम है। इसका असर बसों की मेंटेनेंस पर भी पड़ रहा है। वहीं बस स्टैंड में अपना व्यवसाय करने वाले व्यापारी भी लोगों की कम आवाजाही की वजह से कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। यह स्थिति कब तक कायम रहेगी, इस बारे में टूर-ऑपरेटर बस संचालक और बस स्टैंड़ में छोटे कारोबारी आपस में मुसाफिरों की आस में चर्चा करते मिल जाते हैं।

बस्तर के जिन रूटों पर कभी यात्री बसों की दिन भर आवाजाही होती रहती थी, अब केवल 20 फीसदी बसें ही दौड़ती नजर आ रही है। बस मालिकों के मुताबिक यात्रियों का टोटा है और डीजल की बढ़ती कीमत ने भी परेशानी बढ़ाई है। इन समस्याओं के बीच यात्रियों से किराए के रूप में पूर्व निर्धारित रकम ही वसूल की जा रही है।

हालात यह हैं कि बसों का संचालन घाटे का सौदा साबित हो रहा है। लॉकडाउन से पहले बस्तर संभाग के हर जिला मुख्यालय सहित छोटे-छोटे गांवों और कस्बों को बस सेवा सीधे जोड़ती थी, लेकिन अब जिला मुख्यालयों के अलावा प्रमुख रूट पर ही बसें चलाई जा रही हैं।

प्राइवेट बस एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष गोपेंद्र चौहान का कहना है कि यात्रियों की किल्लत की वजह से बसों का संचालन घाटे का सौदा साबित हो रहा है। सीमित बसों का संचालन सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, ताकि यात्रियों को राहत मिल सके और समय के साथ स्थिति सामान्य होने की अनुकूल परिस्थिति निर्मित हो सके।

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