प्रयागराज में गंगा का जलस्‍तर बढ़ने के साथ ही बाहर आने लगे दफनाए गए शव..

News Edition 24 Desk: मानसून के आगमन के साथ ही उत्‍तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा नदी के बढ़ते जलस्‍तर ने प्रशासन के सामने नई चुनौती पेश कर कर दी है. उसे रेत में दफनाए गए शवों की समस्‍या से जूझना पड़ रहा है, संदेह है कि ये ‘कब्र’ कोरोना मरीजों की हैं. जैसे-जैसे जल स्‍तर बढ़ रहा है, रेत के किनारे उखड़ रहे हैं और शव पानी में तैर रहे हैं. पिछले दो दिनों में स्‍थानीय पत्रकारों के द्वारा प्रयागराज के विभिन्‍न घाटों पर मोबाइल से खींचे गए वीडियो/तस्‍वीरों में नगरनिगम की टीम को शव बाहर निकालते हुए देखा जा सकता है.

बुधवार को लिए गए फोटो में एक शव को नदी के किनारे पर देखा जा सकता है. भगवा रंग के कफन से बाहर आ रहे इस शव के हाथ में सफेद रंग का सर्जिकल ग्‍लव्‍ज भी नजर आ रहा है. शव को प्रयागराज म्‍युनिसिपल कार्पोरेशन की टीम ने बाहर निकाला. ए‍क अन्‍य घाट के वीडियो में टीम के दो सदस्‍यों को कफन से ढंका शव निकालकर उसे किनारे की रेत पर रखते हुए दिखाया गया है. प्रयागराज म्‍युनिसिपल कार्पोरेशन के जोनल ऑफिसर नीरज सिंह ने मीडिया को बताया कि वे पिछले 24 घंटों में 40 शवों का अंतिम संस्‍कार करवा चुके हैं. उन्‍होंने बताया, ‘हम पूरे अनुष्‍ठानों और विधि-विधान के साथ शवों का अंतिम संस्‍कार करवा रहे हैं.’

एक मृत व्‍यक्ति के शव के मुंह में ऑक्‍सीजन ट्यूब देखे जाने संबंधी सवाल पर उन्‍होंने माना कि ऐसा लगता है कि मौत के पहले यह शख्‍स बीमार होगा. उन्‍होंने कहा, ‘आप देख सकते हैं कि यह शख्‍स बीमार था और परिवार इस व्‍यक्ति को यहां छोड़ गया होगा. संभवत: वे डर गए होंगे.’

सभी शव ‘डिकम्‍पोज’ नहीं हुए हैं, उन्‍होंने कहा कि कुछ शवों की स्थिति बताती है कि इन्‍हें हाल ही में दफनाया गया है. प्रयागराज मेयर अभिलाषा गुप्‍ता नंदी ने मीडिया को बताया कि कई समुदायों में शवों को दफनाने की परंपरा रही है. जहां मिट्टी में शव डिकम्‍पोज (विघटित) हो जाते हैं, वह रेत में नहीं हो पाते. उन्‍होंने कहा, ‘हमें जहां भी शव मिल रहे हैं, हम उनका अंतिम संस्‍कार करवा रहे हैं.’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *