छत्तीसगढ़ के इस गांव में शाम होते ही बच्‍चा हो या बूढ़ा, औरत हो या जवान बन जाते हैं कैदी, जानें क्‍या है वजह…

News Edition 24 Desk: कांकेर: छत्तीसगढ़ में कोरोना, ब्लैक फंगस के साथ ही हाथियों का आतंक भी लोगों को परेशान कर रहा है। ऐसे ही एक खबर छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर से मिल रही है।

यहां हाथियों से जान बचाने के लिए ग्रामीणों को जेल में बंद करना पड़ रहा है। दंडकारण्य के घनघोर जंगल मे मौजूद कांकेर के भानुप्रतापपुर के कई गांवों के सैकड़ों आदिवासियों को रात होते ही इलाके में मौजूद निर्माणाधीन जेल में हाथियों से जान बचाने के लिए छिपना पड़ रहा है। 20 से ज्यादा की संख्या में हाथी यहां दिन में जंगल मे पहाड़ियों पर सो जाते है और फिर रात में गांवो में घूम-घूम कर उत्पात मचाते है।

पिछले 1 महीने के भीतर हाथियों ने छत्तीसगढ़ के महासमुंद और जशपुर में 3 लोगों को कुचलकर मार डाला है, जिसके डर के चलते हुए रोज शाम होते ही सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जेल में शरण लेने आ जाते है। यहां जेल में बंद होकर कैदियों की तरह रात बिताते हैं और उसके बाद सुबह होते ही घरो को लौट जाते है।


शाम होते ही ग्रामीण पहुंच जाते है जेल 

ग्रामीण महिला बिजिकट्टा ने कहा क‍ि हमने इससे पहले ऐसा कभी नही देखा हाथियों के ख़ौफ़ के चलते हमे 4 बजते ही खाना बनाकर बच्चों को लेकर गांवों से निकलकर जेल में आना पड़ता है। कैदियों की तरह यहां रहते है उसके बाद सुबह होते ही खेतो में काम के लिए वापस लौट जाते है।

छत्तीसगढ़ में हाथी और मानव द्वंद की कहानी काफी पुरानी है. यहां पिछले 5 वर्षों में 350 से ज्यादा लोगों की मौत मानव हाथी द्वंद में हुई है. वहीं 25 से ज्यादा भी इसमें मारे गए. छत्तीसगढ़ में मानव और हाथी द्वंद रोकने के 2000 वर्ग किमी में हाथियों के लिए लेमरू रिजर्व एलीफैंट फ्रंट भी प्रस्तवित है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस योजना में सिर्फ भ्रष्टाचार कर रही है।


पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार पर लगाया यह आरोप 

भाजपा के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा क‍ि सरकार को हाथियों और मानवों के द्वंद्व से कोई लेना देना नहीं है इसमें सिर्फ भ्रष्टाचार किया जा रहा है। सरकार ने ढाई साल में इसके लिए कुछ नहीं किया।

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