मुंबई : पश्चिम बंगाल चुनाव और कुंभ मेले के बहाने शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए हैं। शिवसेना ने शनिवार को कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनावी रैलियों और हरिद्वार कुंभ मेले के आयोजन का समय पर संज्ञान लिया होता, तो देश में कोरोना वायरस से हालात इतने खराब नहीं हुए होते। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से महामारी के बीच ऑक्सिजन सप्लाई और टीकाकरण संबंधी राष्ट्रीय योजना के बारे में जानकारी मांगी है, जिसके बाद पार्टी ने यह बयान दिया है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, ‘यह अच्छी बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया है। यदि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और अन्य नेताओं की पश्चिम बंगाल में चुनावी रैलियों और हरिद्वार में धार्मिक सभाओं को लेकर भी समय पर हस्तक्षेप किया गया होता, तो लोगों के इस तरह तड़प- तड़प कर मरने की नौबत नहीं आई होती।’
दिल्ली के एक अस्पताल में ऑक्सिजन के अभाव के कारण कोविड-19 के 25 मरीजों की मौत होने का जिक्र करते हुए पार्टी ने सवाल किया कि यदि केंद्र इसके लिए जिम्मेदार नहीं है, तो फिर इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। पार्टी ने कहा, ‘यह राष्ट्रीय राजधानी के हालात हैं। यदि केंद्र सरकार इसके लिए जिम्मेदार नहीं है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?’
‘हर तरफ दिख रहे श्मशान और कब्रिस्तान’
शिवसेना ने ब्रिटेन के एक प्रमुख समाचार पत्र के उस शीर्षक का जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि ‘भारत कोविड-19 का नरक बन गया है’। शिवसेना ने कहा कि यदि केंद्र ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों के बजाए कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया होता, तो हालात खराब नहीं होते। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले दल ने भंडारा, मुंबई, विरार और नासिक के अस्पतालों में हुई त्रासदियों में लोगों की मौत होने पर शोक व्यक्त किया। पार्टी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सहकर्मी भारत को स्वर्ग बनाना चाहते थे, लेकिन हमें आज केवल श्मशान और कब्रिस्तान ही दिख रहे हैं। कहीं सामुदायिक चिताएं जल रही हैं और कहीं अस्पताल मरीजों के साथ स्वयं जल रहे हैं। क्या यही नरक है?’
‘उद्धव मुंबई में लड़ रहे लड़ाई, नहीं गए चुनावी रैलियों में’
इस बीच, शिवसेना के नेता संजय राउत ने स्वास्थ्य संकट के लिए देश के शीर्ष नेतृत्व को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा, ‘हमारा नेतृत्व चुनाव जीतने और राजनीति करने के अलावा और कोई काम नहीं करना चाहता। उन्हें लगता है कि यही अंतिम सफलता है। यदि वैश्विक महामारी से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया जाता, तो हम ऐसी स्थिति में नहीं होते।’
उन्होंने महाराष्ट्र में स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आगे रहकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘वह चुनावी रैलियों को संबोधित करने के लिए कहीं नहीं गए। वह लड़ रहे हैं, मुंबई में बैठे हैं और निर्देश दे रहे हैं। ठाकरे राजनीति नहीं कर रहे।’
News source: Madhya Pradesh Times