नई दिल्ली: शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं की उदासीनता दूर करने के लिए, चुनाव आयोग (EC) केंद्र और राज्य सरकार के सभी विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों और 500 से अधिक कर्मचारियों वाली निजी कंपनियों को यह निगरानी करने के लिए कहने वाला है कि चुनाव के दिन कितने कर्मचारी विशेष अवकाश (Special Leave) का लाभ उठाते हैं, लेकिन मतदान नहीं करते. इस संबंध में निर्वाचन आयोग उपरोक्त नियोक्ताओं (नौकरी देने वाले संस्थानों-संस्थाओं) को पत्र लिखने की तैयारी में है. द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग, अपने स्थानीय जिला चुनाव अधिकारियों के माध्यम से, सरकारी विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों और निजी कंपनियों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहेगा, जो मतदान न करने वाले कर्मचारियों पर नजर रखेंगे.
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान नहीं उजागर करने की शर्त पर द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हम तब नियोक्ता से उन कर्मचारियों को चुनाव आयोग द्वारा आयोजित विशेष मतदाता जागरूकता कार्यशालाओं में भेजने का आग्रह करेंगे जिन्होंने मतदान नहीं किया था. इसका उद्देश्य मतदाता उदासीनता से निपटना है, खासकर शहरी क्षेत्रों में.’ अधिकारी ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोग छुट्टी तो ले रहे हैं लेकिन वोट नहीं डाल रहे हैं. कोई नहीं चाहेगा कि उसका नाम मतदान नहीं करने वालों की सूची में आए. हमें उम्मीद है कि मतदान न करने के बाद पहचाने जाने और कार्यशाला के लिए भेजे जाने की कार्रवाई कर्मचारियों की उदासीनता को हतोत्साहित करेगी.’
मतदान के लिए कर्मियों को मिलती है पेड लीव
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 135बी (Section 135B of the Representation of the People Act, 1951) के अनुसार, किसी भी व्यवसाय, व्यापार, औद्योगिक उपक्रम या किसी अन्य प्रतिष्ठान में कार्यरत और संसद या विधानसभा चुनाव में मतदान करने के हकदार प्रत्येक पंजीकृत मतदाता को इस उद्देश्य के लिए एक दिन की पेड लीव मिलती है. राज्य और केंद्र सरकारें हमेशा परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा (25 Section 25 of Negotiable Instruments Act, 1881) के तहत मतदान दिवस को सवैतनिक अवकाश के रूप में अधिसूचित करती हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, मतदान के अधिकारों के बारे में उच्च जागरूकता के बावजूद शहरी क्षेत्रों में मतदाता उदासीनता सबसे अधिक है.
देश के शहरी क्षेत्रों में होता है सबसे कम मतदान
शहरी क्षेत्रों में 2019 के लोकसभा चुनाव में 67.40 फीसदी पंजीकृत मतदाताओं ने वोट डाला. धुबरी (असम), बिष्णुपुर (पश्चिम बंगाल) और अरुणाचल पूर्व जैसे शहरी निर्वाचन क्षेत्रों में क्रमशः 90.66%, 87.34% और 87.03% के साथ उच्चतम मतदान दर्ज किया गया. इसके विपरीत, श्रीनगर (14.43%), अनंतनाग (8.98%), हैदराबाद (44.84%), पटना साहिब (45.80%) जैसी शहरी सीटों पर कम मतदान हुआ. निर्वाचन आयोग के अधिकारी ने कहा, ‘इसके अलावा, हमने सभी जिला चुनाव अधिकारियों/रिटर्निंग अधिकारियों को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 5 सबसे कम मतदान वाले केंद्रों की पहचान करने का भी निर्देश दिया है. ये अधिकारी कम मतदान के कारणों की पहचान करेंगे और मतदान प्रक्रिया में बाधा डालने वाले अन्य कारणों को दूर करने के लिए इन बूथों का दौरा करेंगे.’