कोरबा: एसईसीएल की खदान में सैकड़ों की संख्या में लोगों के द्वारा कोयला चोरी का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद शासन- प्रशासन में हड़कंप मच गया है। बिलासपुर रेंज के आईजी रतनलाल डांगी ने कोयला चोरी के वायरल वीडियो पर संज्ञान लेते हुए बिंदुवार जानकारी के साथ जांच के आदेश बिलासपुर,रायगढ़ व कोरबा एसपी को प्रेषित किया है।
इस मामले पर कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर ने एसईसीएल, व केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों पर निशाना साधते हुए कहा कि SECL केंद्रीय सरकार का उपक्रम है, जिसके सुरक्षा की जिम्मेदारी एसईसीएल द्वारा CISF, त्रिपुरा राइफल के जवानों को सौंपा गया है । माइंस की सुरक्षा पर SECL प्रबंधन प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च करता है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी यदि माइंस में चोरी नहीं रुक पा रही है तो यह सीआईएसएफ और त्रिपुरा राइफल्स के जवानों और अधिकारियों की विफलता है। जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें स्पष्ट नहीं है कि वीडियो किस माइंस का है। हिंदुस्तान के कई राज्यों में माइंस हैं ,जिनकी सुरक्षा CISF एवं अन्य केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां करती हैं उनके हजारों अफसर और जवान तैनात हैं। करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी यदि सीआईएसएफ और त्रिपुरा राइफल्स के जवान चोरी नहीं रोक पा रहे हैं तो इनके ड्यूटी का औचित्य ही क्या है ? वीडियो की पुष्टि किए बिना राज्य सरकार एवं स्थानीय प्रशासन को बदनाम करने की साजिश की जा रही है जो पूर्णतया गलत है ।
विधायक कंवर ने कहा कि जब इस वायरल वीडियो को ग्राम नरईबोध चौकी हरदीबाजार क्षेत्र का बताया गया तो मैंने वीडियो की सत्यता को जानने के लिए ग्राम नरईबोध में स्टाफ भेजकर उस लोकेशन की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई, दोनों वीडियो को देखने से दोनों के लोकेशन में अंतर साफ नजर आ रहा है । ऐसा प्रतीत होता है कि वायरल वीडियो इस लोकेशन का नहीं है इसकी सत्यता की जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा की इस वीडियो को वायरल करने के पीछे किन लोगों का हाथ है। जल्द ही साफ हो जाएगा कि वायरल वीडियो की सच्चाई क्या है।
यहां यह बताना लाज़मीं होगा कि कोरबा जिले में कोयला चोरी को लेकर कई बार स्थितियां सामने आई लेकिन गौर करने वाली बात यह है कोयले की चोरी को लेकर भारी संख्या में केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान खदानों में तैनात रहते हैं तभी खदानों में किसी भी प्रकार के चोरी को लेकर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित किया जा सके । कोरबा में संचालित कोयले की खदानों में भारी मात्रा में त्रिपुरा के जवान तैनात हैं सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए एसईसीएल के द्वारा इन जवानों को तैनात किया गया है इनकी तैनाती के दौरान इतने बड़े संख्या में मजदूरों का खदान में प्रवेश करना संभव नहीं है चलिए मान लेते हैं कोरबा में भारी संख्या में मजदूरों के द्वारा कोयले की चोरी लगातार की जा रही है ऐसे में त्रिपुरा बटालियन के जवानों की सुरक्षा मैं क्या कोई कमी रह गई थी और यदि सुरक्षा के बावजूद स्थानीय लोगों के द्वारा खदानों में प्रवेश किया जा रहा है तो एसईसीएल प्रबंधन के द्वारा क्या पुलिस के समक्ष लिखित शिकायत की गई यह अपने आप में सवाल है।
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