
छ.ग. वन लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ जिला-उत्तर बस्तर काकेर, के प्रांतीय आव्हान पर प्रदेश स्तरीय हड़ताल का आज छटवा दिन है। वन विभाग के समस्त कार्यालयीन कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मूलभूत मांगों को पूर्ण कराने के लिए अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हुए हैं। वन विभाग छ.ग.शासन का ऐसा विभाग है जहाँ जनता हितैषी कार्यों के साथ-साथ पर्यावरण व प्रकृति के हित, संरक्षण व उत्थान लिए भी अनेक तरह से कार्य किए जाते हैं लेकिन घोर विडम्बना है कि वन विभाग अपने ही कर्मचारियों के हित संरक्षण व उत्थान के प्रति कोई कार्य नहीं कर पा रहा है। कर्मचारियों द्वारा विगत 05 वर्षों से भी अधिक समय से लगातार अपने उच्चधिकारियों को अपनी समस्याएँ गिनाया जा रहा है किन्तु वन विभाग के आला अधिकारियों को कर्मचारियों की यह समस्या संज्ञान में लेने योग्य नहीं लगती हैं।
छ.ग. वन लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ जिला उत्तर बस्तर कांकेर, (छ.ग.) द्वारा मुख्य रूप से पदोन्नति कम में सुधार करने मांग किया गया है। जिसमें छ.ग.तृतीय श्रेणी (लिपिक वर्गीय) वन सेवा भर्ती नियम को अद्यतन करते हुए लेखापाल के 317 पदों को सहायक ग्रेड-1 के 78 पदों को लेखा अधीक्षक के पद में समाहित किए जाने प्रस्तावित है। साथ ही साथ डाटा एंट्री ऑपरेटर एवं वायरलेस ऑपरेटरों के लिए सिविल सेवा भर्ती नियम अद्यतन कराने की मांग की गई है जिससे कि कर्मचारियों को पदोन्नति का अवसर प्राप्त हो सके।

वन विभाग द्वारा विगत कुछ वर्षों पूर्व लेखापाल का पद विलोपित कर सहायक ग्रेड-2 में सम्मिलित कर दिया गया। जिसमें सुधार करने की मांग वन लिपिक कर्मचारी संघ द्वारा बारम्बार वन विभाग से किया जा रहा है किन्तु वित्त विभाग की सहमति वन विभाग आज तक प्राप्त करने में असमर्थ रहा है। जबकि उपरोक्त मांग के स्वीकृत हो जाने से वन विभाग के विभागीय सेटअप में पदों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं होगी और ना ही कोई अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा इसके बावजूद भी वित्त विभाग द्वारा इस मांग पर अपनी सहमति नहीं दिए जाने का कारण अब तक अस्पष्ट है।
छ.ग. वन लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ छ.ग. शासन वन विभाग से यही निवेदन करता है कि विभाग जल्द से जल्द अपने कर्मचारियों के प्रति संवेदनशीलता दिखाए और लिपिकों कर्मचारियों की इस व्यापक समस्या का त्वरित निराकरण कर वित्त विभाग की सहमति प्राप्त कर अपने कर्मचारियों हेतु कल्याणकारी मार्ग प्रशस्त करे।
वर्तमान में प्रतिदिन बढ़ती हुई महंगाई एवं छ.ग. शासन के लचर फैसलों से कर्मचारियों की कमर टूट गई है। छ.ग. शासन अपने कर्मचारियों को उनके हक का महंगाई भत्ता भी नहीं दे रहा है और ना ही कर्मचारियों की बुनियादी मांगों को पूरा करने में समर्थ नज़र आ रहा है। सत्ता में आने से पूर्व कांग्रेस शासन के प्रतिनिधियों द्वारा कर्मचारी हितैषी कई दावे किए गए थे, जो कि आज सारे के सारे बेबुनियादी नज़र आ रहे हैं।
ऐसी अविश्वसनीय सरकार के भरोसे कई कर्मचारियों व उनके परिवार की ज़िंदगी अधर में अटकी हुई है। छ.ग. वन लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ जिला उत्तर बस्तर काकेर, (छ.ग.) के प्रांतीय आव्हान पर आज समस्त वन लिपिक वर्गीय कर्मचारी छ.ग. शासन वन विभाग से अपनी मांगों को पूरा कराने एकजुट होकर प्रदेश स्तरीय हड़ताल के छटवें दिन भी धरनास्थल पर डटे हुए हैं।