नई दिल्ली: कटहल बड़े पेड़ पर उगने वाला फल है. धीरे-धीरे इसकी मांग में तेजी आ रही है. भारत में पांरपरिक तौर पर इसे पेड़ों से तोड़ा जाता है. यहां पर इसकी व्यवसायिक खेती नहीं होती है हालांकि यहां पैदावार काफी होती है. इसके अलावा दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया में कटहल की खेती की जाती है. बांग्लादेश और श्रीलंका का राष्ट्रीय फल भी कटहल है. कटहल अभी चर्चा में इसलिए है क्योंकि लंदन के सबसे पुराने बाजार बोरो मार्केट में एक कटहल 160 पाउंड (करीब 16 हजार रुपए) में बिक रहा था.
16 हजार में बिक रहे कटहल की तस्वीर को बीबीसी के रिपोर्टर ने खींचा था. उसके बाद यह तस्वीर ब्राजील में ट्विटर पर वायरल हो गई. ब्राजील में यह तस्वीर वायरल होने के बाद लोगों का चौंकना लाजमी था क्यों कि ब्राजील के कई इलाकों में कटहल 82 रुपए किलो तक मिल जाता है. इसलिए कई लोगों ने इसे मजाक में लिया और कहा कि वो कटहल बेचकर करोड़पति बन जाएंगे. कटहल कई देशों में काफी सस्ता मिल जाता है. कई देशों में लोग पेड़ से तोड़कर इसे आसानी से खा सकते हैं.
वैसे तो ब्राज़ील के कई इलाक़ों में एक ताज़ा कटहल 82 रुपये में मिल जाता है. कई जगहों पर ये सड़कों पर सड़ता भी दिखाई दे जाएगा. कई अन्य देशों में भी ये सस्ता ही है. कई जगह तो इसे फ्री में ही पेड़ों से तोड़ा जा सकता है. तो ऐसे में यह सवाल सामने आ रहा है कि आखिर कटहल की कीमत इतनी कैसे बढ़ गई है. क्योंकि बाजार के नियमों के मुताबिक यह तो तय है कि कटहल की मांग बढ़ने के कारण ही यह महंगा हुआ है. एक और वजह है कि जिन देशों में कटहल होता है उन देशों में सप्लाई चेन की व्यवस्था सही नहीं है. इसके कारण उत्पादन का 70 फीसदी कटहल नष्ट हो जाता है.
झारखंड के बाजार की बात करें को झारखंड में सीजन की शुरुआत में शहरी बाजारों में कटहल 70 से 80 रुपए किलो बिकता है. ग्रामीण बाजारों में भी फरवरी महीने में 40 से 50 रुपए किलों की दर से कटहल बिकता है. हाल के वर्षों में स्थानीय बाजारों के साथ-साथ अंतराष्ट्रीय बाजारों में कटहल की मांग बढ़ रही है. अब झारखंड के कटहल देश के कई राज्यों के अलावा विदेशों में भी भेजे जा रहे हैं. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक जानकार मानते हैं कि इंटरनेशनल मार्केट में कटहल का कारोबार काफी पेचीदा और रिस्क वाला है. क्योंकि यह एक मौसमी फल है और इसका आकार भी काफी बड़ा होता है. एक कटहल का वजन 40 किलो तक हो सकता है. यह रिस्की इसिलिए है क्योंकि कटहल की शेल्फ लाइफ कम होती है. इसके साथ ही इसकी पैकिंग और ट्रांसपोर्टेशन आसान नहीं है.
इन सब परेशानियों के बावजूद कटहल की मांग में तेजी है क्योंकि विकसित देशों में कटहल को शाकाहारी लोगों के लिए मांस के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. पकाए जाने के बाद कटहल पूरी तरह से मांस की तरह दिखता है. सिर्फ ब्रिटेन की ही बात करें तो शाकाहारी लोगों की संख्या 35 लाख के करीब है और यह बढ़ती जा रही है. हालांकि ट्रांसपोर्टेशन समेत कई प्रकार की समस्याओं के बाद भी अनुमान लगाया जा रहा है कि कटहल के अंतराष्ट्रीय बाजार का विस्तार होगा. तमाम अड़चनों के बावजूद हाल के अध्ययनों में कटहल के अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के विस्तार का अनुमान लगाया गया है. कंसल्टेंसी इंडस्ट्री एआरसी द्वारा लगाए गए अनुमान के मुताबिक 2026 तक कटहल का बाजार 35.91 करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है. कटहल का बाजार 2021-2026 तक 3.3 फीसदी की दर से बढ़ रहा है.