मुंबई: मंगलवार को महाराष्ट्र के शिवसेना सांसद संजय राउत ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर बड़ा धमाका किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार को गिराने में मदद करने से इनकार करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) उन्हें और उनके परिवार को परेशान कर रहा है।
उन्होंने कहा कि, ईडी और अन्य जांच एजेंसी के अधिकारी “अब अपने राजनीतिक आकाओं की कठपुतली बन गए हैं”। राउत ने कहा कि अधिकारियों ने यहां तक स्वीकार किया है कि उन्हें “उनके ‘बॉस’ ने मुझे ‘ठीक’ करने के लिए कहा है।” इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने कई सनसनीखेज दावे किए हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव कराने में मदद करने से इनकार करने पर उन्हें जेल भेजने तक की धमकी दी गई।
आप को बता दे कि, उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि, “करीब एक महीने पहले, कुछ लोगों ने मुझसे संपर्क किया और कहा कि महाराष्ट्र में राज्य सरकार को गिराने में हमारी मदद करें,वे चाहते थे कि मैं इस तरह की कोशिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाऊं ताकि राज्य को मध्यावधि चुनाव की ओर धकेला जा सके। मैंने ऐसे किसी भी गुप्त एजेंडे में पार्टी बनने से इनकार कर दिया, जिस पर मुझे चेतावनी दी गई कि मेरे इनकार से मुझे बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। मुझे यहां तक बताया गया कि मेरे आगे आने वाले दिन एक पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री की तरह हो सकते हैं, जिन्होंने कई साल सलाखों के पीछे गुजारे।”
सत्यमेव जयते.. pic.twitter.com/ImdX7wPuYa
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) February 8, 2022
संजय राउत ने आगे कहा कि, “मुझे यहां तक चेतावनी दी गई थी कि मेरे अलावा, महाराष्ट्र कैबिनेट में दो वरिष्ठ मंत्रियों के साथ-साथ महाराष्ट्र में दो वरिष्ठ नेताओं को भी पीएमएलए अधिनियम के तहत सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा, जिससे राज्य में मध्यावधि चुनाव होंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि,अलीबाग में उनके परिवार के पास करीब 1 एकड़ जमीन है, जिसे लगभग 17 साल पहले खरीदा गया था, लेकिन जिन लोगों ने जमीन बेची उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को ईडी और अन्य एजेंसियों द्वारा मेरे खिलाफ बयान देने के लिए धमकी दी जा रही है। उनसे यह कहने के लिए कहा जा रहा है कि उन्हें एग्रीमेंट वैल्यू के ऊपर या उससे कुछ अधिक कैश मुझसे मिला है।
राउत ने कहा, “2012-13 में कुछ लोगों ने मुझे और मेरे परिवार को एक छोटी सी जमीन बेची थी, उन लोगों के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. दिन पर दिन, ईडी और अन्य एजेंसियों के अधिकारी इन लोगों को बुलाते हैं और उन्हें जेल भेजने और उनकी संपत्ति अटैच करने की धमकी देते हैं जब तक कि वो मेरे खिलाफ बयान नहीं देते. सभी संपत्ति पब्लिक डोमेन में हैं और राज्यसभा के लिए मेरे नामांकन पत्रों के साथ फाइल किए गए हलफनामों में इनका जिक्र है. इतने सालों में मुझसे कोई सवाल नहीं पूछा गया। हालांकि, अचानक ईडी और अन्य एजेंसियों के लिए यह एक ‘चिंता का मुद्दा’ बन गया है। लगभग 20 साल पहले खरीदी गई संपत्तियों के संबंध में “जांच” करने का काम ईडी और अन्य एजेंसियों के पास नहीं है।”
उन्होंने दावा किया कि, जांच एजेंसियों द्वारा अब तक 28 लोगों को “गलत तरीके से” उठाया गया है,साथ ही मेरे खिलाफ बयान नहीं देने पर गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी दी गई है।
2003 में बने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की ओर इशारा करते हुए, उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी और अन्य केंद्रीय एजेंसियां इसका उपयोग करके भाजपा के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को धमका रही हैं और परेशान कर रही हैं। आखरी में राउत ने कहा कि, “जब से शिवसेना ने महाराष्ट्र में भाजपा से नाता तोड़ा है, हम देख रहे हैं कि शिवसेना के सांसदों और नेताओं को कानून लागू करने वाली एजेंसियां जैसे प्रवर्तन निदेशालय का उपयोग करके टारगेट किया जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय के कर्मचारी हमारे विधायकों, सांसदों और नेताओं के साथ-साथ उनके रिश्तेदारों, दोस्तों और परिचितों को डराने-धमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।” उन्होंने कहा कि वह डरे हुए नहीं हैं और “ना हीं झुकेंगे बल्कि सच बोलते रहेंगे।”