धीरे-धीरे जंगल में आंदोलन की आग…

हजारों आदिवासी ग्रामीण हो रहे एकजुट ताडबल्ला में हुए नरसंहार की बरसी पर नजर आए बैनर पोस्टर रोड़ी व प्रथा आदिवासियों का संविधान है

बीजापुर ब्यूरो प्रमुख नितिन रोकड़े की रिपोर्ट अबूझमाड़ से लौटकर

बीजापुर। जिला मुख्यालय का एक हिस्सा जो अबूझमाड़ है, लगभग ब्लॉक मुख्यालय से 30 किलोमीटर इंद्रावती नदी पर बसा हुआ है जहां सन 2019 में 7 फरवरी एक नरसंहार हुआ था बोरदा में जिसमें लगभग 10 आदिवासी ग्रामीण युवक व युवतियों के मुठभेड़ में मौत हुई थी। जिसको लेकर आज से 2 साल पहले भी रैली आंदोलन ग्रामीणों ने ब्लॉक मुख्यालय भैरमगढ़ में किया था । उसकी आग फिर से सुरगी है ताड़बल्ला में बरसी मनाने के रूप में हजारों की तादात में अलग-अलग गाँव के ग्रामीण आदिवासी एकत्रित होकर ताड़बल्ला बोरदा में हुए नरसंहार पर बरसी मनाये।बरसी में भानूप्रतापपुर ,कोंडागांव, कांकेर, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश के हजारों आदिवासी ग्रामीण समर्थन में जुटे हुए थे। जिला मुख्यालय वह ब्लॉक मुख्यालय के सभी कार्यकारिणी सदस्य व अध्यक्ष उपाध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज की तरफ से अशोक तलाड़ी, तिरुपति आलम ,सकनी चंद्रिया संरक्षक, विनय उईके, सीता राम मांझी ,राजेंद्र कडती, व अन्य साथी गण उपस्थित रहे ।

ग्रामीणों से बातचीत…

ग्रामीण आदिवासियों से बातचीत पर कुछ तथ्य सामने आए जिस पर उन्होंने बताया कि 7 फरवरी सुबह 11:00 बजे लगभग जवान नदी पार कर बोरदा पहुंचे और अचानक गोलीबारी शुरू हो गई जिसमें गांव के युवक-युवती मुठभेड़ में मारे गए जिनकी संख्या लगभग 10 रही इस बात को लेकर पहले भी ग्रामीणों ने आंदोलन किया भैरमगढ़ पहुंचकर विधायक विक्रम मंडावी से मुलाकात की और आश्वासन भी मिला था । जल्द जांच होगी परंतु आज पर्यंत तक इस मामले पर ज्यादा कुछ कार्यवाही नहीं हो सकी दुखद हैं और फिर से हम आगे आ रहे हैं।

गांव के बुजुर्गों से बातचीत

उन्होंने कहा कि सत्ता पर आने के लिए कांग्रेस पार्टी के विधानसभा चुनाव में नवंबर 2018 के विधानसभा चुनाव को लेकर जब कांग्रेस सरकार ने बातचीत की तो कहा था,आदिवासियों की मुठभेड़ में हत्या नहीं होगी। वारंटी माओवादियों के नाम पर पुलिस गिरफ्तारी नहीं होगी। पुलिस परेशान नहीं करेगी आश्वासन देकर सत्ता पर आई थी, परंतु सरकार सत्ता पर आते ही हुआ था नरसंहार! बीजापुर विधायक ने भी कहा था जल्द जांच कर कार्यवाही होगी परंतु आज पर्यंत तक उनके द्वारा इस विषय पर आगे कोई बात नहीं की गई

मूलवासी बचाओ मंच के अध्यक्ष ने क्या कहा?

मूल बचाओ मंच के अध्यक्ष ने कहा कि बगैर ग्राम सभा के सरकार के द्वारा प्रशासन के द्वारा विकास कार्य लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में किए जा रहे हैं । जो हमें नहीं चाहिए है क्योंकि प्रकृति संसाधनों को ग्रामीण क्षेत्र से ले जाने के लिए ही सड़क चौड़ीकरण , पुल पुलिया निर्माण कर प्रकृति का पर्यावरण का नुकसान किया जा रहा है। जल जंगल जमीन पर पूरा अधिकार आदिवासियों का है जिसे ग्राम सभा के बगैर हम ले जाने नहीं देंगे हम सरकार से निवेदन करते हैं 10 बिंदुओं पर हमने एक पंपलेट भी बनाया है जिसे वह पढ़ें और आदिवासी ग्रामीणों को समझें माड़ में 750 वर्ग किलोमीटर जमीन के लिए जो समझौता पत्र बनाए गया है उसे भी रद्द करना होगा । माड़ क्षेत्र सहित तमाम बस्तर क्षेत्र के छठवीं अनुसूची का दर्जा दो जेल में बंद तमाम आदिवासीयो को व आदिवासी गरीब जनता को बिना शर्त रिहा करें । झूठे केस बनाकर और जेल में ना डालें झूठी मुठभेड़ ना करें इंद्रावती नदी पर बनने वाले पुल का निर्माण काम बंद करें सभी पुलिस कैंप वापस लें । मूलवासी मंच के अध्यक्ष का कहना है कि जायज मांगों को लेकर हम संघर्ष कर रहे हैं सरकार हमारी मांगों को लेकर जाए संघर्ष को कुचलने की कोशिश ना करें आदिवासी एक हैं बीजापुर में चल रहे बुर्जी- पुसनार आंदोलन, सिलगेर आंदोलन, बेचापाल आंदोलन, पर आंदोलन जारी है जारी रहेंगे।

सोनी सोरी सामाजिक कार्यकर्ता व जेल बंदी समिति के सदस्यों का कथन

नरसंहार को लेकर बरसी मनाई जा रही है जिसमें हम पहुंचे हैं ऐसे ही यड्समेटा, सरकेगुड़ा,सिलगेर जैसे और भी कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं । रिपोर्ट आने के बाद भी सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया ना ही दोषियों पर FIR कर कार्रवाई की आज भी निर्दोष आदिवासियों को जेल भेजा जा रहा है, मारा जा रहा है। लगातार बस्तर के अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्रों में आंदोलन घरों से निकालकर मैदान तक पहुंच चुका है और मैदान से अब सड़कों तक पहुंच रहा है। कई मामलों पर न्यायिक जांच के लिए मजिस्ट्रेट जांच तक की मांग की गई परंतु कांग्रेस सरकार आने के बाद किसी भी तरह का कोई न्याय जाँच नहीं हो रहा कई मामलों पर इन सारी बातों को देखते हुए चुनाव मैं बड़ी बात होगी इन आंदोलनों की वजह से चुनाव में भी प्रभाव पड़ेगा ।

ब्यूरो रिपोर्ट बीजापुर : नितिन रोकड़े

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