रायपुर। छत्तीसगढ़ की पूर्व भाजपा सरकार के दौरान सबसे मजबूत अफसर रहे अमन सिंह के खिलाफ शिकंजा कस गया है। दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ ने पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह के खिलाफ केंद्र सरकार और CBI को शीघ्र निर्णय लेने का आदेश दिया है।
साथ ही निर्देश है कि कहा कि शिकायतों पर 16 सप्ताह के अंदर कानून सम्मत फैसला लें। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ में हुई।
याचिका में कहा गया था, 2003 से लेकर 2018 तक भ्रष्टाचार, बेनामी लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर कृत्य की जांच के लिए याचिकाकर्ता ने कई बार जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों से शिकायत की। बार-बार प्रार्थना पत्र दिया लेकिन आज तक कार्रवाई करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता राकेश चौबे के मुताबिक भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में शामिल होने के समय अमर सिंह की वार्षिक संपत्ति रिटर्न से स्पष्ट है कि वे बहुत ही सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि से थे। लेकिन वह आय के अपने कानूनी स्रोतों के विपरीत 2500 करोड़ से अधिक की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने में सफल रहे हैं। उन्होंने संपत्तियों में बेनामी निवेश और परिवार के सदस्यों के नाम पर व्यवसाय आदि के जरिए परिवार की संपत्ति में अचानक बहुत वृद्धि की है।
सिविल सेवा आचरण नियम का गंभीर उल्लंघन
अमन सिंह पर सेवा नियमों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया गया है। याचिकाकर्ता का दावा है, अपनी आय से अधिक संपत्ति के उजागर होने के भय से अमन सिंह ने छत्तीसगढ़ सरकार में कार्यरत रहते हुए एक भी वार्षिक संपत्ति रिटर्न फाइल नहीं किया। इसतरह से उन्होंने सेवा नियमों और छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम का गंभीर उल्लंघन किया है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से मिल चुकी है राहत
आय से अधिक संपत्ति मामले में FIR के खिलाफ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अमन सिंह और उनकी पत्नी यासमीन सिंह को राहत दे चुका है। दो सप्ताह पहले उच्च न्यायालय ने दोनों के खिलाफ एसीबी और ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज एफआईआर को निरस्त करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा कि दोनों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला नहीं बनता है।
Report Raipur Bureau-Joy Fernandes.