चुनावी समर में 94 वीं बार उतरे! इस बुजुर्ग से सीखें जीत का जुनून, 93 चुनाव हारे, जानिए क्या है हस्नूराम की पूरी कहानी…

आगरा : चुनाव कोई भी क्‍यों न हो, हर प्रत्‍याशी की इच्‍छा उसे जीतने की होती है और इसके लिए वे हर संभव कोशिश करते हैं। लेकिन कोई सिर्फ हारने के लिए चुनाव लड़े तो इसे क्‍या कहेंगे। आगरा में ऐसे ही एक शख्‍स हैं, जो 93 बार चुनाव लड़ चुके हैं और हर बार उन्‍हें हार ही मिली है। अब उनकी मंशा 100 बार चुनाव में हारकर रिकॉर्ड बनाने की है, जिसके लिए उनकी नजरें यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी टिकी हैं। ये शख्‍स हैं आगरा के रहने वाले 75 वर्षीय हसनूराम आंबेडकरी, जो खुद को डॉ. भीमराव अंबेडकर का अनुयायी बताते हैं। वह हालांकि 93 बार चुनाव हार चुके हैं, लेकिन उन्‍हें इसका न तो कोई मलाल है और न ही इससे उनके हौसले पस्‍त हुए हैं, बल्कि वह एक बार फिर यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं।

हसनूराम अब तक पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। यहां तक कि उन्‍होंने देश के राष्‍ट्रपति पद के लिए भी अपनी उम्‍मीदवारी दी थी, लेकिन उनका आवेदन खारिज कर दिया गया था। हसनूराम वर्ष 2019 में फतेहपुर सीकरी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, जब उन्‍हें लगभग 4200 वोट मिले थे। इसके बाद वह यूपी में हुए पंचायत चुनाव के लिए भी मैदान में थे, लेकिन उन्‍हें फिर हार मिली। उन्‍होंने तभी कहा था कि अगर 2022 तक वह सही-सलामत रहते हैं तो विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे।
हसनूराम 1985 से ही अलग-अलग चुनाव लड़ते आ रहे हैं। 15 अगस्‍त, 1947 को देश की आजादी के दिन जन्‍मे हसनूराम पूर्व में राजस्‍व विभाग में अमीन के पद पर कार्यरत रह चुके हैं। चुनाव लड़ने की इच्‍छा उनमें ऐसी थी कि नौकरी छोड़कर वह इसके लिए राजनीति से जुड़ गए, लेकिन तब जिस पार्टी से उन्‍हें सबसे उम्‍मीदें थीं, उन्‍होंने उसे टिकट नहीं दिया। इसके बाद वह हर बार निर्दलीय प्रत्‍याशी के तौर पर मैदान में उतरे। शुरुआत में उनकी मंशा भी चुनाव जीतने की थी, लेकिन अब जब 93 बार वह चुनाव हार चुके हैं, उनका इरादा 100 चुनावों में हारकर रिकॉर्ड बनाने का है और इसके लिए वह एक बार फिर यूपी विधानसभा चुनाव में किस्‍मत आजमाने की तैयारियों में जुट गए हैं।

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