
रायपुर। देश में 10 से 22 वर्ष के बीच 90 प्रतिशत युवा तंबाकू का उपयोग कर रहे है। वहीं छत्तीसगढ़ में 80 लाख से अधिक लोग तंबाकू का उपयोग कर रहें हैं। राज्य में 13 से 15 वर्ष के बच्चों द्वारा तंबाकू उपयोग का प्रतिशत 8 है। भले ही यह राष्ट्रीय औसत से कम है परंतु बहुत चिंताजनक विषय है। भारत में जहां प्रतिदिन इससे 3500 के लगभग मौत हो रही है, साल में लगभग 12.8 लाख मौतें तंबाकू के उपयोग से होती हैं, जो टीबी, एचआईवी और मलेरिया को मिलाकर होने वाली कुल मौतों से अधिक है, यह वर्तमान में चल रही कोरोना महामारी में होने वाली मृत्यु से भी कहीं ज्यादा है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सिंहदेव ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा तंबाकू नियंत्रण विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला में अपने ऑनलाइन संबोधन के दौरान कहा की स्कूल और कॉलेज स्तर पर ही तंबाकू के उपयोग से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी दी जानी चाहिए जिससे नई पीढ़ी को तंबाकू के व्यसन से बचाया जा सके। उन्होंने इस अवसर पर वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण-2019 के चौथे चरण के छत्तीसगढ़ के अनुरूप परिणामों का विमोचन किया।

स्वास्थ्य मंत्री ने कार्यशाला में कहा की एक बार तंबाकू की लत छोटे उम्र के बच्चों और युवाओं को लग जाए तो उसे छोड़ना काफी कठिन होता है। इसलिए हमें इन्हें तंबाकू के दुष्परिणाम से पहले ही अवगत कराना चाहिए। साथ ही तंबाकू और इससे बनने वाले विभिन्न उत्पादों के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूकता और इन उत्पादों के उपयोग को रोकने में लोगों की सहभागिता से ही तंबाकू के उपयोग पर नियंत्रण किया जा सकता है।
‘‘आओ ग्राम चलें‘‘ जैसे अभियान चलाने की आवश्यकता
‘द यूनियन’ के डॉ. राणा जगदीप सिंह ने तंबाकू के उपयोग पर नियंत्रण के लिए अनेक सुझाव देते हुए उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में 80 लाख से अधिक लोग तंबाकू का उपयोग करते हैं। हमें तंबाकू मुक्त छत्तीसगढ़ के लिए ‘‘आओ ग्राम चलें‘‘ जैसे अभियान चलाने की आवश्यकता है। हमें लक्ष्य निर्धारित करना होगा कि प्रदेश के 13 से 15 आयु समूह के बच्चों में वर्ष 2025 तक तंबाकू के उपयोग की दर को 8 प्रतिशत से 5 प्रतिशत पर लाया जा सके।
कोरोना संक्रमण को फैलने में करता है सहयोग
कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में तंबाकू एवं तंबाकू उत्पादों का उपयोग न केवल कोरोना के वायरस के संक्रमण को फैलने में सहयोग प्रदान करता है, बल्कि उसकी गंभीरता को बढ़ाते हुये मृत्यु का कारण भी बनता है। कार्यशाला में प्रतिभागियों को कोटपा अधिनियम, 2003 के प्रावधानों एवं राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम व इसके क्रियान्वयन में विभिन्न विभागों के दायित्वों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही उपयोग पर नियंत्रण के लिए अंर्तविभागीय समन्वय से लक्ष्य निर्धारित करते हुए तेजी से कार्य किए जाने की बात कहीं।
कानूनों को भी कड़ाई से लागू किए जाने के आए सुझाव
इस दौरान उपयोग पर नियंत्रण के लिए कोटपा के नियमों को और अधिक प्रभावी बनाने के साथ ही किशोर न्याय अधिनियम, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे महत्वपूर्ण कानूनों को भी कड़ाई से लागू किए जाने के सुझाव दिए गए। कार्यशाला में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्वास्थ्य विभाग, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, उच्च शिक्षा, पंचायत, श्रम, परिवहन विभाग, सीआईडी, विधि एवं विधायी और उद्योग विभाग सहित अनेक गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
Report Raipur Bureau-Joy Fernandes.