कोरोना काल में बेहतर उपचार के लिए मिले शासकीय पैसों का हो गया खेला…

स्वास्थ्य केंद्र आवापल्ली के बीएमओ के कारनामे दवाई के पैसों का निर्माण कार्य में किया खर्च….

बीजापुर ब्यूरो : जिला मुख्यालय के उसुर ब्लॉक में कोविड-19 के दौरान बेहतर उपचार के लिए जिला प्रशासन के द्वारा 10 लाख रुपए की राशि जारी की गई थी। स्वास्थ्य केंद्र आवापल्ली को जिसका उपयोग ब्लॉक मुख्यालय में बेहतर उपचार के लिए करना था परंतु नियम कानून को दरकिनार कर बीएमओ साहब ने सरकारी पैसे का कुछ इस कदर दुरुपयोग किया कि क्या कहने…

कोविड-19 महामारी जिसमें पूरा देश परेशान था । लोग कई तरह से आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना कर रहे थे ऐसी स्थिति में जब जिला प्रशासन के द्वारा बेहतर उपचार के लिए ब्लॉक मुख्यालय को खर्च करने के लिए राशि जारी की गई तब पूर्व बीएमओ मनीष उपाध्याय को इस राशि का उपयोग कैसा करना है समझ नहीं आया तो उन्होंने उस पैसे से निर्माण कार्य कर अपनी जेब भर ली।

जब आवापल्ली पहुंच उप स्वास्थ्य केंद्र जाकर वर्तमान बीएमओ से हालचाल जाना तब उन्होंने इस मामले पर ज्यादा जानकारी नहीं होने की बात कही वहीं कर्मचारियों से पूछताछ में खबर बाहर आई की कोविड काल के दौरान जिला प्रशासन के द्वारा कोविड-19 में मास्क, शू कवर, पांच से छह दवाइयों की किट जो कोरोना मरीजों को दी जाती है वह अन्य सुविधा जो मरीजों को उस समय उपलब्ध करानी है और तत्काल करानी है । जैसे अगर सप्लाई में दवाई नहीं है तो उस समय उस पैसे का बाहर से दवाई खरीद कर बेहतर इलाज किया जाना था । परंतु ऐसा ना करते हुए स्वास्थ्य केंद्र के पूर्व बीएमओ के द्वारा राशि का बंदरबांट किया गया ।

जिसमें प्रमुखता से अपने घर से बीएमओ ऑफिस जाने में डीजल खर्च, अस्पताल परिसर के अंदर बाउंड्री वॉल व अन्य आनन-फानन खर्च कर राशि को खत्म किया गया।वहीं दूसरी पीएचसी में उपयोग के लिए कई तरह की उपयोगी सामान एवं भवन बनने थे जिसे किसी तरह ऊपर से नीचे कर पूर्व बीएमओ ने आवापल्ली में स्थापित कर दिया । उसुर को इन चीजो से वंचित रखा गया जिसमें सबसे सेंसिटिव एरिया बासागुडा, इलमिडी, पामेड़,पुसगुड़ी जहां पीएचसी को कई तरह की सुविधाएं देनी थी इन सारी सुविधाओं को भी उन्होंने अपनी जेब भरने के लिए आवापल्ली में ही स्थापित कर लिया ।

इस मामले में जानकारी मिली है वह इस जानकारी को जल्द ही अपने उच्च अधिकारियों को बताएंगे…

प्रफुल्ल रात्रे बीएमओ आवापल्ली

ब्यूरो रिपोर्ट बीजापुर : नितिन रोकड़े

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