अंदरूनी इलाकों में 2 साल में 30 कैम्प खोल कर तीन हजार स्कवेयर किमी एरिया में पुलिस ने बढ़ाई अपनी दखल…
News Edition 24 Desk: जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर के जिलों में। विश्वास, विकास और सुरक्षा के त्रिसूत्रीय फार्मूले को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने बस्तर के अंदरूनी और संवेदनशील इलाकों में अपनी सीधी दखल रखने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इस मिशन में शुरुआती सफलता मिलने से फोर्स के हौंसले बुलंद हैं। दरअसल इस मुहिम से फोर्स नक्सलियों के कोर इलाके में खास तौर पर अब उनकी टॉप लीडरशिप तक पहुंचने की जुगत में है।
इसका सीधा मकसद यह है कि कदम दर कदम बढ़ाते हुए पूरे इलाके में नक्सलियों के आधार को खत्म किया जा सके। इसके लिए दक्षिण, पश्चिम बस्तर के कट्टेकल्याण,बडऱीमहु,तिरिया के अलावा बासागुड़ा,जगरगुंडा,तररेम, पामेड़,उसूर, धर्मा,चिंतलनार,किश्टाराम के बाद सिलगेर में कैम्प खोल कर नक्सलियों को बैकफुट पर ढकेला है। ये तमाम इलाके कभी नक्सलियों के लिए सुरक्षित शरणस्थली माने जाते थे। निर्धारित रणनीति के तहत एंटी नक्सल ऑपरेशन में जुटी अफसरों की टीमें प्रशासन के दीगर विभागों के साथ मिलकर इस मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने कैम्पों के साथ पुल, सडक़, आंगनबाड़ी, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार पर फोकस कर रही है।
नक्सलियों के क्रास रूट पर फोर्स की नजर
संवेदनशील इलाकों में जितनी तेजी से कैम्प खोले जाएंगे उतनी ही तेजी से पुलिस का सूचना तंत्र भी मजबूत होता है। ऐसा होने से पुलिस को अंदरूनी क्षेत्रों से इनपुट भी आसानी से मिलता हैं। इसके अलावा कैम्पों का एक बड़ा फायदा यह भी है कि फोर्स नक्सलियों के क्रास रूट पर आसानी से नजर रख सकती है। क्रास रूट का इस्तेमाल आमतौर पर बड़े नक्सलियों द्वारा एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से पहुंचने के लिए किया जाता है। इन रास्तों का इस्तेमाल किसी भी बड़ी वारदात के बाद होता है। इतना ही नहीं क्रास रूट से नक्सलियों की मूवमेंट बेहद आसान हो जाती है। दूरदराज के क्षेत्रों में होने वाली बैठकों में वे काफी कम समय में पहुंच जाते हैं।
कैंप खुलने से खत्म होता है नक्सलियों का प्रभाव क्षेत्र
जिन इलाकों में फोर्स के कैंप खुलते हैं वहां सडक़ निर्माण काफी तेज गति से होता है। इसका सीधा असर यह रहता है कि नक्सलियों की मूवमेंट पुलिस की निगरानी में आ जाती है। साथ ही धीरे धीरे नक्सलियों का प्रभाव इन क्षेत्रों में खत्म हो जाता है। बस्तर संभाग में पिछले 20 साल से 140 कैम्प खोले गए हैं। हालांकि इनमें से ज्यादातर कैम्प गुजरे 5-6 साल में ही खुलें हैं।
सुरक्षा के साथ विकास और विश्वास : आई जी
विश्वास,विकास और सुरक्षा की थ्योरी पर फोकस करते हुए बस्तर के विभिन्न अंदरूनी इलाकों में फोर्स काम कर रही है। आईजी बस्तर रेंज सुंदरराज पी के मुताबिक पहले धारणा थी कि कैम्प नक्सली समस्या दूर करने के लिए खोले जाते हैं लेकिन अब मकसद यह है कि इससे अंदरूनी इलाकों में समग्र विकास और प्रशासन के प्रति लोगों का विश्वास बढऩा है।