सफलता की कहानी:
कड़कनाथ से मिल रही अच्छी सेहत के साथ आर्थिक उन्नति…

• ढोंढरा की दुर्गा स्व-सहायता समूह आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर

सुकमा । कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गे की स्वास्थवर्धक गुणों से हर कोई वाकिफ है। कड़कनाथ मुर्गे मुर्गीयों मे प्रचुर मात्रा मे प्रोटीन होता है तथा इसमे वसा की मात्रा अत्यंत कम होती है। कड़कनाथ मे रोग प्रतिरोध की क्षमता अन्य पक्षियों के तुलना मे अत्यधिक होती है जिसके कारण इसका सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। यह हृदय रोगियों के लिए भी लाभप्रद होता है। इन्हीं विशिष्ट गुणों के कारण बाजार मे इसकी काफी मांग है और इसकी कीमत अन्य मुर्गियों की अपेक्षा अधिक है। जिले के सुदूर, सवेंदनशील नक्सल प्रभावित विकासखंड कोंटा के ग्राम ढोंढरा मे पशु पालन विभाग के द्वारा रेनफेड एरिया डेवलपमेन्ट एंड एग्रीकल्चर के तहत स्थानीय महिला स्व-सहायता समूहों को कड़कनाथ मुर्गीपालन योजना का लाभ प्रदान किया गया है। जिसे वे स्थानीय हाट-बाजारों के अलावा ग्राम में ही आठ सौ रुपए प्रति किलो की दर से विक्रय कर अपनी आमदनी दोगुनी कर रहे हैं।

गरीब परिवारों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को रोजगार के अवसर प्रदाय कर जीविकोपार्जन हेतु साधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पशु पालन विभाग सुकमा के द्वारा व्यक्तिमूलक योजना के तहत जनवरी माह में ग्राम ढोंढरा के दुर्गा स्व-सहायता समूह को कड़कनाथ चूजें वितरित किये गए थे। जिसके अच्छे रख-रखाव से पांच से छह महीने में चुजों में वृद्धि हो चुकी है, अब वे डेढ़ से दो किलो के हो गए है। जिसे हितग्राहियों के द्वारा विक्रय कर आर्थिक लाभ कमाया जा रहा है। कड़कनाथ के मांस की बाजार में जबरदस्त मांग है और इसका दाम साधारण मुर्गे-मुर्गियों से दोगुना है। ग्रामीण गरीब परिवार बिना लागत कम देख रेख कर अपने घरों की बाड़ी मे कुक्कूट आवास बनाकर कड़कनाथ मुर्गियों का पालन कर रहे हैं। महिला स्व-सहायता समूह के द्वारा कड़कनाथ मुर्गे मुर्गीयों का पालन कर बाजार में अंडे व वृद्धि पश्चात मांस के लिए बिक्री कर भरपूर लाभ कमा कर आत्मनिर्भर बन रही हैं।

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