News Edition 24 Desk: नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का एजेंडा पूर्ण राज्य का दर्जा वापस करना और विधानसभा चुनाव होगा। इस दौरान सरकार परिसीमन पर भी अपना पक्ष राजनीतिक दलों के समक्ष रखेगी। सरकार के सूत्रों का कहना है कि नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी सहित राज्य के मुख्य दल सर्वदलीय बैठक में शामिल होने पर सैद्घांतिक तौर पर सहमत है। फिलहाल एक-एक कर दूसरे दलों से भी संपर्क साधा जा रहा है।
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को एक झटके में अनुच्छेद 370 खत्म करने और जम्मू कश्मीर को दो हिस्से में बांट कर दो केंद्रशासित प्रदेश बनाने के दो साल बाद सरकार राजनीतिक पहल कर रही है। सर्वदलीय बैठक बुलाने के फैसले के पूर्व सरकार ने शीर्ष स्तर पर कई दौर की बैठकें की हैं। अंतिम फैसले से पूर्व पीएम ने गृह मंत्री, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और राष्टï्रीय सुरक्षा सलाकार के साथ भी बैठक की थी।
फारुख-महबूबा मुफ्ती तैयार
सरकार के सूत्र बताते हैं कि भले ही नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी सहित कई दल सर्वदलीय बैठक के संदर्भ में पत्ते नहीं खोल रहे, मगर ये दल बैठक में शिकरत करने के लिए सैद्घांतिक तौर पर तैयार हैं। गुपकार में शामिल ज्यादातर दलों की यही स्थिति है। अब तक नौ प्रमुख दलोंं से बात हुई है, इनमें किसी का रुख भी नकारात्मक नहीं है। पीपुल्स पार्टी, जेकेअपनी पार्टी, आवामी नेशनल कांफ्रेंस और माकपा का रुख भी सकारात्मक है। अगले दो दिनों में 16 और दलों से बातचीत होनी है।
अब क्या है समीकरण
दरअसल जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और विधानसभा चुनाव कराने पर सहमति देने से सरकार को किसी तरह का सियासी घाटा नहीं होगा। उल्टे सरकार अंतर्राष्टï्रीय समुदाय को भी सकारात्मक संदेश देने में सफल होगी। सरकार का मुख्य उद्येश्य राज्य से अनुच्छेद 370 का खात्मा और जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करना था। अब अगर जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस भी दे दिया गया तो अनुच्छेद 370 का विरोध प्रतिकात्मक रह जाएगा। जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करने का सवाल भी गौण हो जाएगा। सरकार की रणनीति जनसंख्या का हवाला दे कर परिसीमन में कश्मीर पर जम्मू के पलड़े को भारी करना है। इसके लिए 20 जिलों में मतदाताओं की संख्या का रिकार्ड पहले ही मंगा लिया गया है। सरकार इस बैठक में चुनाव से पहले परिसीमन कराने पर अपना पक्ष रखेगी।