News Edition 24 Desk: 8 नवंबर 2016 को भारत सरकार ने 500 और 1,000 रुपये के नोट को बंद करने की घोषणा कर दी थी. सरकार ने यह फैसला काले धन और आतंक फैलाने के लिए की जा रही टेरर फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए किया था. इस समय में सरकार ने लोगों को अपना पुराना नोट बैंकों में जमा करने के लिए मौका दिया था.
अब इस मामले में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से खास निर्देश दिया गया है. बैंकों से कहा गया है कि वे इस दौरान के अपनी शाखाओं और करेंसी चेस्ट के सभी सीसीटीवी फुटेज को अगल आदेश तक संभाल कर रखें. इसके लिए केंद्रीय बैंक ने 8 नवंबर 2016 से 30 दिसंबर 2016 तक का समय भी निर्धारित किया है. रिजर्व बैंक ने यह आदेश इनफोर्समेंट एजेंसीज को गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल लोगों का पता लगाने में आसानी के लिए दिया है. ताकि उन्हें इसमें कोई कठिनाई न हो.
सूचना के मुताबिक, विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी के मुताबिक, जांच एजेंसियां भी अब उस समय जमा किए गए काले धन का पता लगाने के लिए जांच प्रारंभ कर दी हैं. जांच एजेंसियों को सुविधा देने के लिए केंद्रीय बैंक ने बैंकों को सीसीटीवी फुटेज को संभालकर रखने के लिए कहा है. जिससे जांच एजेंसियों को सहूलियत हो. जिस समय देश में नोटबंदी की घोषणा की गई थी, उस समय देश में प्रचलन में कुल 15.41 लाख करोड़ रुपये के 500 और 1,000 रुपये के नोट थे, जिसमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये बैंकों में जमा किए गए थे.
नोटबंदी के बाद जारी किए गए 500 और 2,000 रुपये के नए नोट
भारत सरकार ने 8 नवंबर 2016 को जब 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की तो उसके बाद 500 के नए नोट और 2,000 रुपये के नोट प्रचलन में लाए गए. उसके बाद पैसे जमा कराने के लिए और नए नोट पाने के लिए देशभर के बैंकों में लाइन लग गई थी. यहां तक कि नोटबंदी के साढ़े चार साल बाद भी 500 और 1,000 के पुराने नोट मिलने के बारे में जानकारियां सामने आती रहीं. इसको लेकर कई तरह के सवाल भी खड़े किए गए. ऐसी स्थिति में बैंकों के सीसीटीवी फुटेज जांच एजेंसियों को अपनी जांच पूरी करने में काफी सहूलियत दे सकते हैं.