रायपुर। किसान आंदोलन की कड़ी में एक और विरोध प्रदर्शन का रोडमैप तैयार किया गया है। पांच जून को भाजपा नेताओं के कार्यालयों, घरों के सामने किसान विरोधी कानूनों की प्रतियां जलाई जाएगी। संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान सभा व आदिवासी एकता महासभा ने इसकी घोषणा कर दी है।
कृषि कानूनों की वापसी की मांग
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के विभिन्न घटक संगठन भाजपा सांसदों, विधायकों और अन्य भाजपाई जन प्रतिनिधियों के कार्यालयों और घरों के समक्ष किसान विरोधी तीनों कानूनों की प्रतियां जलाई जाएगी और इन कानूनों की वापसी की मांग की जाएगी।
आम जनता संघर्ष कर रही
छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा कि पिछले साल पांच जून को ही इन किसान विरोधी कानूनों को अध्यादेशों के रूप में देश की जनता पर थोपा गया था। तभी से इन अध्यादेशों और बाद में बने कानूनों के खिलाफ देश की आम जनता संघर्ष कर रही है और पिछले छह महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर देश के लाखों किसानों का ऐतिहासिक धरना जारी है।
उल्लेखनीय है कि पांच जून को ही लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने 1974 में तत्कालीन केंद्र सरकार के तानाशाहीपूर्ण रूख के खिलाफ ‘संपूर्ण क्रांति’ का बिगुल फूंका था। यह जन आंदोलन देश में संवैधानिक मूल्यों पर आधारित शासन देने और गरीब मजदूर-किसानों को खुशहाल बनाने वाली नीतियों को लागू करने की अवधारणा पर आधरित थी। देश के किसान संगठन आज इसी अवधारणा पर आधारित जन आंदोलन का संचालन कर रहे हैं।
किसान सभा के नेताओं ने कहा कि जिस प्रकार संपूर्ण क्रांति के आंदोलन ने देश की आम जनता को आपातकाल से मुक्ति दिलाई थी, उसी प्रकार कृषि कानूनों के खिलाफ यह देशव्यापी किसान आंदोलन भी देश की जनता को मोदी सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों से मुक्ति दिलाने की लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने आम जनता के सभी तबकों से इस देशभक्तिपूर्ण संघर्ष को मजबूत करने के लिए अपना योगदान देने की अपील की है।
Report Raipur Bureau-Joy Fernandes.