
News Edition 24 Helth Desk: ‘ब्लैक फंगस’ ने अब छत्तीसगढ़ में भी दस्तक दे दी है इसके पहले ब्लैक फंगस के मामले दिल्ली, सूरत और महाराष्ट्र में पाए गए हैं News Edition 24 पूर्व में भी खबर प्रकाशित कर चुका है अब खबर आई है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एम्स में 15 ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती कराए गये हैं। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि रायपुर एम्स में भर्ती मरीजों में 8 की आंखों में इंफेक्शन है। जबकि बाकि बचे मरीजों के अन्य अंगो में संक्रमण है, जिनकी जांच की जा रही है। वही, स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने भी छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के मरीजों के मिलने की पुष्टि की है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीजों की जांच की जा रही है।
वही, पूरे प्रदेश में कोरोना के बाद ब्लैंक फंगस का शिकार हुए मरीजों की संख्या करीब 50 की है, जो अलग-अलग जिलों में है। हालांकि पूरी तरह से उन मरीजों की जानकारी सामने नहीं आ पाई है। रायपुर एम्स में करीब 15 मरीजों के ब्लैक फंगस से प्रभावित होने की जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।

अब लोग कोरोना से ठीक होने के बाद ‘ब्लैक फंगस’ के शिकार हो रहे हैं. कोरोना की इस दूसरी लहर में ‘ब्लैक फंगस’ नामक बीमारी भी सामने आई है. इसके मामले सामने आने के बाद से भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने चिंता जतायी है. ICMR की ओर से कहा गया है कि कि कोरोना से जंग जीतने के बाद भी कुछ लोग इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. विभाग की ओर से कहा गया है कि इसकी वजह से मरीजों की आंखें निकालने तक की नौबत आ रही है.
इसके साथ ही कई मरीजों की इससे मौत की भी सूचना मिली है. हालांकि यह रेयर इन्फेक्शन है, लेकिन इससे बचाव के लिए जरूरी है कि वक्त रहते लक्षणों की पहचान हो और मरीजों को बचाया जा सके.
यह बीमारी डायबिटीज और क्रॉनिकल डिजीज वाले मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक है. इस बीमारी पर निगरानी, जांच और इलाज के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर ने जो एडवाइजरी जारी की है, उसमें कहा गया है ‘‘ ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस का इलाज नहीं किया जाए तो इससे मरीज की जान तक जा सकती है. हवा में मौजूद फफूंद सांस के रास्ते शरीर में पहुंचता है और धीरे-धीरे फेफड़े को प्रभावित करना शुरू कर देता है.’’

विशषज्ञों का मानना है कि म्यूकरमाइकोसिस के केसेज बढ़ने के पीछे की स्टेरॉइड्स का बहुत ज्यादा इस्तेमाल और मरीजों को लंबे समय तक आईसीयू में रखे जाने जैसी वजहें हो सकती हैं. आईसीएमआर-स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी में बताया गया है कि इस बीमारी का सबसे बड़ा खतरा, मधुमेह का अनियंत्रित होना, स्ट्रॉयड की वजह से प्रतिरक्षण क्षमता में कमी है. लंबे समय तक आईसीयू में रहने वाले मरीजों पर यह जल्द प्रभाव छोड़ता है. इस संक्रमण से बचने के लिए कोरोना मरीजों को अस्पतालों से छुट्टी देने के बाद भी ब्लड में ग्लूकोज की निगरानी जरूरी है. एंटीबायोटिक, एंटीफंगल दवा, स्ट्रॉयड और संक्रमणमुक्त पानी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में ब्लैक फंगस के संक्रमण होने की जानकारी को गंभीरता से लिया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता तय कराने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिए हैं। ब्लैक फंगस के रोकथाम के लिए पोसाकोनाजोल एवं एम्फोटेरसिन-बी औषधियों की आवश्यकता होती है। इसकी नियमित एवं विधिवत आपूर्ति किया जाना अतिआवश्यक है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के परिपालन में छत्तीसगढ़ के खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक ने सभी जिलों में पदस्थ औषधि निरीक्षकों को अपने जिलों में औषधि पोसाकोनाजोल एवं एम्फोटेरेसिन-बी (समस्त डोसेज फॉर्म, टेबलेट, सीरप, इंजेक्शन एवं लाइपोसोमल इंजेक्शन) की उपलब्धता तय करने के निर्देश जारी किए हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक ने औषधि निरीक्षकों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र के भीतर समस्त होलसेलर, स्टॉकिस्ट, सीएंडएफ से उक्त औषधियों की वर्तमान में उपलब्ध मात्रा की जानकारी प्रतिदिन प्राप्त करें। औषधि निरीक्षक अपने क्षेत्र के सभी औषधि प्रतिष्ठानों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करें।
ब्यूरो रिपोर्ट रायपुर : जॉय फर्नांडीस