अंबिकापुर। जिले का मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन एक बार फिर अपनी लापरवाही के लिए चर्चा में है। कोरोना पॉजिटिव मरीज,जिसका इलाज अस्पताल में चल रहा था। मरीज की मौत की सूचना परिजनों को 36 घंटे तक नहीं दी गई और शव मरच्यूरी में रखवा दिया गया। इतना ही नहीं अस्पताल में मृत पिता के लिए बेटा तीनों टाइम नाश्ता, खाना पहुँचता रहा। मगर उसे पता नहीं था कि अब इस दुनिया में उसका पिता नहीं रहा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बिश्रामपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सतपता निवासी पारस राजवाड़े की तबियत बिगडऩे के बाद परिजन उसे 20 अप्रैल को अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर आए थे। जांच में कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद उसे कोविड वार्ड में शिफ्ट कराया गया,जहाँ स्थिति खराब होने पर आईसीयू में रखकर इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान मरीज की 2 मई की मौत हो गई, इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के परिजनों को इसकी सूचना नहीं दी। मरीज के पुत्र ने पिता को अस्पताल में भर्ती कराने के दौरान अपना मोबाइल नंबर भी दिया था। इधर मरीज के परिजन उसके लिए तीनों टाइम नाश्ता व खाना अस्पताल के आईसीयू में पहुंचाते रहे। इस पर भी किसी ने उन्हें यह बताना जरूरी नहीं समझा कि उनके मरीज की मौत हो गई है। दूसरे दिन जब बेटा पीपीई किट पहनकर पिता से मिलने पहुंचा तब उसे बताया गया कि एक दिन पहले ही उसके पिता की मौत हो चुकी है। यह सुन बेटे के पांव तले से जमीन खिसक गई। लाचार वह रोता हुआ लापरवाह सिस्टम को कोसता रहा। मामले की जानकारी जब अस्पताल अधीक्षक को दी गई तो उन्होंने जांच कर कार्यवाही करने की बात कह रहे हैं।