News Edition 24 Desk: भारत में कोरोना वायरस की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. देश में मंगलवार को पिछले 24 घंटे में 3,449 कोरोना संक्रमित मरीजों ने दम तोड़ दिया. इस बीच, अमेरिका स्थित शीर्ष ग्लोबल हेल्थ रिसर्च संस्था ने अनुमान जाहिर किया है कि अगर ‘कठोर उपाय’ नहीं किए गए तो 1 अगस्त 2021 तक भारत में 10 लाख से ज्यादा कोरोना से मौतें हो सकती हैं. इस संस्थान ने पहले इस तारीख तक 960,000 मौतों का अनुमान जताया था.
इस जानलेवा बीमारी के चलते पिछले हफ्ते कोरोना से मरने वालों की संख्या में 78% का इजाफा दर्ज किया गया. अमेरिका में बाइडन प्रशासन के शीर्ष अफसर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जैक सलीवियन ने एबीसी न्यूज ने बातचीत में कहा कि भारत में यह महामारी काबू से बाहर हो चुकी है. कोरोना की बिगड़ती स्थिति के बीच अमेरिका ने भारत के लिए 100 मिलियन डॉलर की मदद भेजी है. हालांकि इस इस बीच अमेरिका ने भारत से आने वाले यात्रियों पर मंगलवार से बैन लगा दिया ताकि कोरोना संक्रमण की चेन आगे न बढ़े. अमेरिका आने वाले सभी लोगों के लिए यह पाबंदी लागू की गई है लेकिन अमेरिकी नागरिकों, ग्रीन कार्ड होल्डर्स, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले छात्रों, कुछ शिक्षाविदों और पेशेवरों को इससे रियायत दी गई है.
बहरहाल, इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) ने अपनी पॉलिसी ब्रीफिंग में कहा, “हेल्थ सिस्टम को मजबूत करने के लिए सख्त उपाय किए बिना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और फेस मास्क के प्रभावी इस्तेमाल के बिना भारत की स्थिति काफी खराब दिखती है.” सिएटल में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के एक विंग के तौर पर काम करने वाले स्वतंत्र अनुसंधान संस्थान इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन ने अनुमान जाहिर किया है कि एक अगस्त 2021 तक भारत में 1,019,000 लोगों की मौत हो सकती है. यह पूर्वानुमान 25 से 30 अप्रैल के आंकड़ों पर आधारित है. सबसे खराब स्थिति में कोरोना से मरने वालों का यह आंकड़ा 1.22 मिलियन यानी करीब 12 लाख तक हो सकता है.
इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के मुताबिक, अगर यूनिवर्सल मास्क कवरेज (95%) तक अगले हफ्ते में पा लिया जाता है तो हमारे मॉडल के हिसाब से 1 अगस्त तक अनुमानित मौतों में 73,000 की कमी आ जाएगी. अमेरिकी संस्थान ने कहा कि कोरोना से होनी वाली मौतों को लेकर उसका अनुमान इस पर आधारित है कि ‘क्या होने की सबसे ज्यादा संभावना है.’रिसर्च संस्थान ने कहा कि अगर वैक्सीन इसी रफ्तार पर दी जाती हैं और सरकार किस तरह सोशल डिस्टेंसिंग नियमों को लागू कराती है, इस पर मॉडल आधारित है.