ब्यूरो रिपोर्ट कांकेर : सत्येंद्र सोनी
उत्तर बस्तर कांकेर : भारत निर्वाचन आयोग द्वारा भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र के उप निर्वाचन की घोषणा के साथ ही जिले में आदर्श आचरण संहिता प्रभावशील हो गई है। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. प्रियंका शुक्ला ने सभी राजनैतिक दलों को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आदर्श आचरण संहिता का पालन करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जो विभिन्न जातियों और धार्मिक या भाषायी समुदायों के बीच विद्यमान मतभेद को बढ़ाये या घृणा की भावना उत्पन्न करे या तनाव पैदा करे। जब अन्य राजनैतिक दलों की आलोचना की जाये, तो वह उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पूर्व रिकार्ड और कार्य तक ही सीमित होनी चाहिए। व्यक्तिगत जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना नहीं की जानी चाहिए, जिनका संबंध अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक क्रियाकलाप से न हो। दलों या उनके कार्यकर्त्ताओं के बारे में कोई ऐसी आलोचना नहीं की जानी चाहिए, जो ऐसे आरोपों पर जिनकी सत्यता स्थापित न हुई हो या जो तोड़-मरोड़कर कही गई बातों पर आधारित हो।
मत प्राप्त करने के लिए जातीय या साम्प्रदायिक भावनाओं की दुहाई नहीं दी जानी चाहिये। मस्जिदों, गिरजाघरों, मंदिरों या पूजा के अन्य स्थानों का निर्वाचन प्रचार के मंच के रूप में प्रयोग नहीं किया जाना चाहिये। सभी दलों और अभ्यर्थियों को ऐसे सभी कार्यों से ईमानदारी के साथ बचना चाहिये, जो निर्वाचन विधि के अधीन ‘भ्रष्ट आचरण’ और अपराध हैं जैसे कि मतदाताओं को रिश्वत देना, मतदाताओं को डराना, धमकाना, मतदाताओं को प्रतिरूपण, मतदान केन्द्र के 100 मीटर के भीतर मत याचना करना, मतदान की समाप्ति के लिए नियत समय को खत्म होने वाली 48 घंटे की अवधि के दौरान सार्वजनिक सभाएं करना और मतदाताओं को वाहन से मतदान केन्द्रों तक ले जाना और वहां से वापस लाना।
सभी राजनैतिक दलों या अभ्यर्थियों को इस बात का प्रयास करना चाहिये कि वे प्रत्येक व्यक्ति के शांतिपूर्ण और विघ्न रहित घरेलू जिन्दगी के अधिकार का आदर करें, चाहे वे उसके राजनैतिक विचारों या कार्यों के कितने ही विरुद्ध क्यों न हों। व्यक्तियों के विचारों या कार्यों का विरोध करने के लिए उनके घरों के सामने प्रदर्शन करने या धरना देने के तरीकों का सहारा किसी भी परिस्थिति में नहीं लेना चाहिये। किसी भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को ध्वजदण्ड बनाने, ध्वज टांगने, सूचनाएं चिपकाने, नारे लिखने आदि के लिए किसी भी व्यक्ति को भूमि, भवन, अहाते, दीवार आदि का उसकी अनुमति के बिना उपयोग करने की अनुमति अपने अनुयायियों को नहीं देनी चाहिये।
राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उनके समर्थक अन्य दलों द्वारा आयोजित सभाओं-जुलूसों आदि में बाधायें उत्पन्न न करें या उन्हें भंग न करें। एक राजनैतिक दल के कार्यकर्त्ताओं या शुभचिन्तकों को दूसरे राजनैतिक दल द्वारा आयोजित सार्वजनिक सभाओं में मौखिक रूप से या लिखित रूप से प्रश्न पूछकर या अपने दल के परचे वितरित करके गड़बड़ी पैदा नहीं करनी चाहिये। किसी दल द्वारा जुलूस उन स्थानों से होकर नहीं ले जाना चाहिये, जिन स्थानों पर दूसरे दल द्वारा सभाएं की जा रही हों। एक दल लगाए गये पोस्टर दूसरे दल के कार्यकर्त्ताओं द्वारा हटाये नहीं जाने चाहिये।
सभाएं …
दल या अभ्यर्थी को किसी प्रस्तावित सभा के स्थान और समय के बारे में स्थानीय प्राधिकारियों को उपयुक्त समय पर सूचना दे देनी चाहिये ताकि वे यातायात को नियंत्रित करने और शांति तथा व्यवस्था बनाये रखने के लिए आवश्यक इंतजाम कर सकें। दल या अभ्यर्थी को उस दशा में पहले ही यह सुनिश्चित कर लेना चाहिये कि उस स्थान पर जहां सभा करने का प्रस्ताव है, कोई निर्बन्धात्मक या प्रतिबंधात्मक आदेश लागू तो नहीं है यदि ऐसे आदेश लागू हो तो उनका कड़ाई के साथ पालन किया जाना चाहिये। यदि ऐसे आदेशों से कोई छूट अपेक्षित हो तो उसके लिये समय से आवेदन करना चाहिए और छूट प्राप्त कर लेना चाहिए। यदि किसी प्रस्तावित सभा के संबंध में लाउड स्पीकरों के उपयोग या किसी अन्य सुविधा के लिए अनुज्ञा या अनुज्ञप्ति प्राप्त करनी हो तो दल या अभ्यर्थी को सम्बद्ध प्राधिकारी के पास काफी पहले से ही आवेदन करना चाहिये और ऐसी अनुज्ञा या अनुज्ञप्ति प्राप्त कर लेनी चाहिये। किसी सभा के आयोजकों के लिए यह अनिवार्य है कि वे सभा में विघ्न डालने वाले अन्यथा अव्यवस्था फैलाने का प्रयत्न करने वाले व्यक्तियों से निपटने के लिए ड्यूटी पर तैनात पुलिस की सहायता प्राप्त करें। आयोजकों को चाहिये कि वे स्वयं ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही न करेें।
जुलूस…
जुलूस का आयोजन करने वाले दल या अभ्यर्थी को पहले ही यह बात तय कर लेनी चाहिए कि जुलूस किस समय और किस स्थान से शुरू होगा, किस मार्ग से होकर जायेगा और किस समय और किस स्थान पर समाप्त होगा। सामान्यतः कार्यक्रम में कोई फेरबदल नहीं होनी चाहिये। आयोजकों को चाहिये कि वे कार्यक्रम के बारे में स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों को पहले से सूचना दे दें, ताकि वे आवश्यक प्रबंध कर सकें। आयोजकों को यह पता कर लेना चाहिए कि जिन इलाकों से होकर जुलूस गुजरता है, उनमें कोई निर्बन्धात्मक आदेश तो लागू नहीं है और जब तक सक्षम प्राधिकारी द्वारा विशेष रूप से छूट न दे दी जाये, उन निर्बन्धनों की पालन करना चाहिये। आयोजकों को जुलूस का आयोजन ऐसे ढंग से करना चाहिये, जिससे कि यातायात में कोई रुकावट या बाधा उत्पन्न किये बिना जुलूस का निकलना संभव हो सके। यदि जुलूस बहुत लम्बा है तो उसे उपयुक्त लम्बाई वाले टुकड़ों में संगठित किया जाना चाहिये, ताकि सुविधाजनक अन्तरालों पर विशेषकर उन स्थानों पर जहां जुलूस को चौराहों से होकर गुजरना है, रूके हुए यातायात के लिए समय-समय पर रास्ता दिया जा सके और इस प्रकार भारी यातायात के जमाव से बचा जा सके। जुलूसों की व्यवस्था ऐसे होने चाहिये कि जहां तक हो सके उन्हें सड़क की दायीं ओर रखा जाये और ड्यूटी पर तैनात पुलिस के निर्देश और सलाह का कड़ाई के साथ पालन किया जाना चाहिये। यदि दो या अधिक राजनैतिक दलों या अभ्यर्थियों ने लगभग उसी समय पर उसी रास्ते से या उसके भाग से जुलूस निकालने का प्रस्ताव किया है तो आयोजकों को चाहिए कि वे समय से काफी पूर्व आपस में सम्पर्क स्थापित करें और ऐसी योजना बनायें, जिससे कि जुलूसों में टकराव न हो या यातायात को बाधा न पहुंचे। स्थानीय पुलिस की सहायता संतोषजनक इंतजाम करने के लिए सदा उपलब्ध होगी। इस प्रयोजन के लिए दलों को यथा शीघ्र पुलिस से सम्पर्क स्थापित करना चाहिये। जुलूस में शामिल लोगों द्वारा ऐसे चीजे लेकर चलने के विषय में जिनका अवांछनीय तत्वों द्वारा, विशेष रूप से उत्तेजना के क्षणों में दुरुपयोग किया जा सकता है, राजनैतिक दलों या अभ्यर्थियों को उन पर अधिक से अधिक नियंत्रण रखना चाहिये। किसी भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को अन्य राजनैतिक दलों के सदस्यों या उनके नेताओं के पुतले लेकर चलने, उनको सार्वजनिक स्थान में जलाने और इसी प्रकार के अन्य प्रदर्शनों का समर्थन नहीं करना चाहिये।