पटना। बिहार की राजनीति में हलचल लगातार जारी है। इन सब के बीच आज गृह मंत्री अमित शाह बिहार पहुंच रहे हैं। भाजपा लगातार एक महीने से अमित शाह के दौरे को लेकर तैयारियों में जुटी हुई है। इसके पहले नीतीश कुमार ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर इफ्तार पार्टी का कार्यक्रम था।
राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित इफ्तार पार्टी में नीतीश कुमार शामिल हुए। जिसके बाद से बिहार में अब राजनीतिक चर्चा जोरों पर है। सवाल यही है कि क्या एक बार फिर से नीतीश कुमार अंतरात्मा की आवाज सुनने जा रहे हैं? जब महागठबंधन से अलग होकर नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ सरकार बनाई थी, तब उन्होंने यही कहा था कि हमने अंतरात्मा की आवाज सुनी और महागठबंधन से दूरी बनाई।
नीतीश कुमार के इफ्तार पार्टी में शामिल होने की टाइमिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है। नीतीश कुमार ऐसे वक्त में राजद की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए जब खुद देश के गृह मंत्री और भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक अमित शाह बिहार दौरे पर हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसे दबाव की पॉलिटिक्स बता रहे हैं। नीतीश के इफ्तार पार्टी में शामिल होने की महत्ता इस बात से भी लगाया जा सकता है क्योंकि इससे पहले वह 2017 में लालू आवास पर आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल हुए थे। उस दौरान महागठबंधन की सरकार थी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे तथा लालू यादव के दोनों बेटे सरकार में अहम पदों पर थे। उस दौरान भी राष्ट्रपति चुनाव होने वाले थे और नीतीश कुमार ने एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का ऐलान कर एक बड़ा दांव खेल दिया था। इसके करीब 1 महीने बाद ही नीतीश कुमार ने पाला बदल दिया था और वह भाजपा के साथ सरकार में शामिल हो गए थे।
2018 में नीतीश के लिए नो एंट्री का बोर्ड लेकर खड़ा रहने वाले तेज प्रताप यादव कुछ दिन पहले ही एंट्री नीतीश लिखा हुआ एक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। इसके बाद से कई कयास लगाए जा रहे हैं। अब जब नीतीश कुमार राजद के इफ्तार पार्टी में शामिल हो गए हैं तो तेज प्रताप के उस ट्वीट का विश्लेषण किया जा रहा है। राबड़ी आवास पर नीतीश कुमार काफी पॉजिटिव नजर आ रहे थे। उनके चेहरे पर मुस्कान साफ तौर पर देखी जा रही थी। वे लगातार राबड़ी देवी, मीसा भारती, तेज प्रताप यादव, तेजस्वी यादव से बातचीत कर रहे थे। इतना ही नहीं, उन्होंने तेजस्वी यादव की पत्नी रचेल को भी आशीर्वाद दिया। और नेता प्रतिपक्ष का ऑफिस देखने भी चले गए। गौर करने वाली बात यह भी है कि हाल में ही जदयू की ओर से इफ्तार पार्टी रखा गया था। लेकिन इस इफ्तार पार्टी में ना तो तेजस्वी यादव और ना ही राबड़ी देवी शामिल हुए थे। बावजूद इसके नीतीश कुमार राजद की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए हैं।
नीतीश कुमार को लेकर पिछले 1 महीने से कयासों का दौर लगातार जारी है। कभी उनके राष्ट्रपति बनने की चर्चा हो जाती है तो कभी उपराष्ट्रपति बनने की। बिहार में भाजपा के कई नेताओं को भी यह लगता है कि अब उनकी पार्टी का कोई नेता बिहार का मुख्यमंत्री बनेगा और नीतीश कुमार दिल्ली जा रहे हैं। लेकिन नीतीश कुमार ने राजद के इफ्तार पार्टी में शामिल होकर यह संदेश तो दे दिया है कि उनके पास विकल्प अब भी मौजूद है। इसे भाजपा के लिए कड़ा संदेश माना जा रहा है। नीतीश कुमार ने अपने कदम से यह भी जाहिर कर दिया है कि उनको लेकर ज्यादा अटकले लगाने की जरूरत नहीं है। सबसे खास बात तो यह भी है कि एनडीए के सबसे पावरफुल नेता अमित शाह बिहार दौरे पर हैं और नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात का कोई कार्यक्रम ही नहीं है। देखना दिलचस्प होगा कि क्या बिहार में कोई नई सियासी खिचड़ी पक रही है या यह नीतीश कुमार का प्रेशर पॉलिटिक्स उनके लिए संभावनाओं का नया द्वार खोलने वाला है।