मध्य प्रदेश के मंदसौर में पशुपतिनाथ मंदिर 3700 किलो का घंटा लगाया गया है. बताया जा रहा है कि देश का सबसे वजनी घंटा है. इस महा घंटे के निर्माण के लिए लोगों के घरों से तांबे और पीतल के पुराने बर्तन दान में लिए गए और लगभग 3 सालों में यह घंटा बनकर तैयार हुआ है.
पिछले दो सालों से यह बनकर मंदिर परिसर में ही रखा हुआ था क्योंकि 37 क्विंटल के इस घंटे को लटकाने का खतरा मोल लेना नहीं चाहता था.
इस बीच मंदसौर के कलेक्टर गौतम सिंह ने इसे मंदिर में लगवाने का फैसला लिया और नाहरू खान नाम के शख्स को बुलवाया. उस शख्स ने मंदिर में घंटे को लटकाने के लिए दस दिन का समय मांगा. नाहरू खान ने दिमाग का इस्तेमाल कर इस काम को आखिरकार कर दिया.
घंटे को टांगे जाने के बाद इसे सबसे पहले बजाने वालों में नाहरू खान के अलावा, विधायक यशपाल सिंह ,कलेक्टर गौतम सिंह और घंटा समिति के दिनेश नागर शामिल थे. बताया जा रहा है कि मंदसौर में जब भी कोई बड़ा काम रुकता है तो सिर्फ दूसरी कक्षा तक पढ़े नाहरू खान ही काम आते हैं.
घंटा अभियान समिति के सदस्य दिनेश नागर ने बताया कि लगभग डेढ़ सौ अलग-अलग इलाकों से लोगों के घरों से पीतल और तांबे के पुराने बर्तन इकट्ठे किए गए और शिव घंटे का निर्माण किया गया था.
पहले लक्ष्य 21 क्विंंटल वजन का रखा गया था लेकिन लोगों के घरों से आस्था के रूप में इतने पुराने बर्तन दान किए गए की इसका वजन 37 क्विंटल तक पहुंच गया.
वहीं इसको लेकर कलेक्टर गौतम सिंह ने कहा कि उनकी तैनातगी के पहले ही एक समिति ने गांव-गांव घूम कर लगभग 40 क्विंटल के आसपास तांबा और पीतल इकट्ठा किया था. करीब 2 साल पहले घंटे का निर्माण हो गया था लेकिन इसकी स्थापना नहीं हुई थी. अब इसकी स्थापना हो गई है और मुख्यमंत्री जी इसकी प्राण प्रतिष्ठा के लिए आएंगे.
वहीं इसको लेकर नाहरू खान ने कहा कि वह मंदसौर की जनता और घंटा अभियान समिति को बधाई और शुभकामनाएं देते हैं.. जब यह घंटा पहले बनकर आया था तो हमने इसके लिए अलग ट्राली बनाकर रखा था. 2 साल बाद लगा कि इसकी स्थापना करना जरूरी है लेकिन इसके वजन के कारण हर आदमी घबराता था.
उन्होंने कहा, ‘मंदसौर की जनता को मेरे ऊपर बहुत विश्वास है कि नाहरू भाई जो काम करेंगे वह अच्छा ही करेंगे, मैं कलेक्टर और विधायक जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझ पर विश्वास किया और यह काम मेरे सुपुर्द किया. मैं दूसरी कक्षा तक ही पढ़ा हुआ हूं लेकिन प्रैक्टिकल नॉलेज मुझे ज्यादा है’.