स्वर सरस्वती का छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी से नाता, गाया -छूट जाही अंगना अटारी…जो आज भी है सदाबहार…

रायपुर। महान गायिका, सुर साम्राज्ञी प्रशंसकों में दीदी और ताई के नाम से मशहूर स्वर कोकिला लता मंगेशकर का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है।

भारतीय सिनेमा की बेहतरीन गायिकाओं में शुमार लता ने 13 साल की उम्र में 1942 में अपने करियर की शुरूआत की थी। 13 साल की उम्र से लेकर 92 वर्ष की जिंदगी में उन्‍होंने हजारों गाने गाए, पूरी दुनिया में अपने प्रशंसक बनाए। 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाने वाली लता ताई ने छत्तीसगढ़ी में एकमात्र गीत गाया, जो इतिहास बन गया।
उनका छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी से भी नाता जुड़ा था। बता दें मुंबई के स्टूडियो में लता दीदी ने 22 फरवरी 2005 को छत्तीसगढ़ी गीत छूट जाही अंगना अटारी…. छूटही बाबू के पिठइया की रिकॉर्डिंग की थी। शादी के बाद बेटी की विदाई पर इस गीत की रचना मदन शर्मा ने की थी और संगीत कल्याण सेन ने दिया था। छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘भखला’ के लिए गाए इस गीत को लता ने छत्तीसगढ़ी बोली में ही गाया था। गीतकार मदन शर्मा ने इस गीत को गवाने के लिए लता दीदी को राजी कर लिया था। इससे पहले उन्हें तमाम पापड़ बेलने पड़े।

गीतकार ने चार बार लगाए मुंबई के चक्कर
इस बात को मदन शर्मा स्वयं स्वीकार कर चुके हैं कि लता जी को गाने के लिए राजी करना उनकी जिंदगी का सबसे मुश्किल काम रहा। इसके लिए मदन शर्मा ने नवंबर 2004 से लेकर फरवरी 2005 तक चार बार मुंबई के चक्कर लगाए। तब जाकर लता दी से गाने के लिए हां सुनने को मिला। मदन शर्मा के अनुसार पहली बार गए तो पता चला कि वो विदेश गई हैं. दूसरी बार गए तो वो पुणे में थीं. तीसरी बार भी कुछ ऐसा ही हुआ और चौथी बार में ऊषा जी के जरिए उनसे मुलाकात हुई और रिकॉर्डिंग की गई। गौरतलब है कि गीतकार मदन शर्मा ने चौथी बार तय कर लिया था कि जब तक लता दी गाना रिकॉर्ड नहीं कर लेंगी, तब तक उपवास रखूंगा। शाम 6 बजे रिकॉर्डिंग के बाद ही मैंने व्रत तोड़ा।

फीस की तय रकम में से लौटाए मिठाई के लिए रुपए

इस छत्तीसगढ़ी गाने की रिकॉर्डिंग के लिए तब मंगेशकर की फीस 2 लाख रुपए तय हुई. गाने की रिकॉर्डिंग पूरी हुई तो लता जी ने फीस की तय रकम में से 50 हजार रुपए लौटा दिए. कहा था कि ये मेरा पहला छत्तीसगढ़ी गीत है, तो सबको लौटकर मेरी तरफ से मिठाई खिलाना। वहीं छत्तीसगढ़ में लता दीदी के यादों के पिटारे में एक और किस्सा भी शामिल है। यह करीब 41 साल पुराना है। तारीख थी 9 फरवरी 1980, जब खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय ने मंगेशकर को डी-लिट की उपाधि से नवाजा था।

Report Raipur Bureau-Joy Fernandes.

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