मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल ने राष्ट्रपति से लगाई ‘इच्छामृत्यु’ की गुहार…

News Edition 24 Desk : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल अक्सर अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहते हैं।अब उन्होंने पत्र लिख राष्ट्रपति से ‘इच्छामृत्यु’ की मांग कर डाली है। राष्ट्रीय मतदाता जागृत मंच के अध्यक्ष के नाते नंद कुमार बघेल का कहना है कि देश में बैलेट पेपर से चुनाव कराया जाना चाहिए अगर ऐसा नहीं होता है तो मुझे राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी पर इच्छामृत्यु प्रदान करने की अनुमति दी जाए। नंद कुमार बघेल ने राष्ट्रीय मतदाता जागृत मंच के माध्यम से राष्ट्रपति को पत्र भेजकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है।

सीएम भूपेश बघेल के पिता द्वारा लिखे पत्र के अंश…

उन्होंने पत्र में लिखा है कि आपको अत्यन्त दुख के साथ अवगत कराना पड़ रहा है कि नागरिकों के समस्त संवैधानिक अधिकारों का व्यापक स्तर पर हनन हो रहा है। लोकतंत्र के तीनों स्तंभ विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका धवस्त होती जा रही है, मीडिया भी तीनों स्तंभों के इशारे पर काम कर रहा है। नागरिकों के अधिकारों की कोई सुनने वाला नहीं है।

जनप्रतिनिधियों को मतदाता अपनी हर समस्या के लिए चुनते हैं, उनकी आवाज भी निरन्तर दबती जा रही है। विधायिका देश के समस्त सरकारी विभागों और उपक्रमों को अपने चहेतों को बेच रही है। कार्यपालिका भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर अपनी आनेवाली संतानों के लिए अधिक से अधिक धन इकट्ठा कर भविष्य सुरक्षित करने में लगी है। उन्होंने ये भी कहा कि आम नागरिकों के मन में भय व्याप्त है। देश में न्याय पाने के लिए नागरिकों की पीढ़ी दर पीढ़ी गुजर जाती है लेकिन न्याय नसीब नहीं हो पा रहा है।

पुरानी पद्धति के अनुसार मतपत्रों के जरिए हों मतदान…

पत्र में लिखा गया है कि सरकारी आकड़ों के अनुसार 700 से ज्यादा किसानों की गलत नीतियों के कारण मौत या हत्या हुई है। इसे समझना होगा, इसकी जिम्मेदारी किस पर रखी जायेगी। लोकतंत्र के सबसे बड़े अधिकार मतदान के अधिकार को ईवीएम मशीन से कराया जा रहा है, ईवीएम मशीन को किसी राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संस्था या सरकार ने 100 प्रतिशत शुद्धता से काम करने का प्रमाण पत्र नहीं दिया है।

किसी भी मशीन को उपयोग में लाने से पूर्व मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्था या सरकार द्वारा मशीन की शुद्धता से काम करने का प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य है, फिर ईवीएम मशीन से जिसके पक्ष में मैं मतदान करता हूं मेरा मत उसके पक्ष में संरक्षित हो रहा है या नहीं? उसकी कोई गारन्टी मुझे प्रतीत नहीं होती है और न ही मैं उसका मूल्यांकन, स्क्रूटनी कर सकता हूं और न ही कोई और कर सकता है। मतदान की सबसे विश्वसनीय पद्धति वही होती है जिसकी स्क्रूटनी कोई भी नागरिक खुद कर पूरी सन्तुष्टि प्राप्त कर सके।

मतपत्र से मतदान का मूल्यांकन प्रत्येक नागरिक कर सकता है, लेकिन ईवीएम से कराये गये मतदान का मूल्यांकन आम आदमी तो क्या अधिकारी भी नहीं कर सकते हैं, जो राजनैतिक पार्टी सत्ता में होती है वह ईवीएम मशीन से जल्दी मतगणना का हवाला देकर उसे वैध करार देती आ रही है।

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