पूर्व मंत्री श्रीमंत पाटिल ने सनसनीखेज बयान दिया है जिसकी वजह से भाजपा की मुश्किल बढ़ गई है। भाजपा को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। श्रीमंत पाटिल ने दावा किया है कि उन्हें कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने के लिए पैसे देने की पेशकश की गई थी लेकिन मैंने पैसे स्वीकार नहीं किए। पैसों की बजाए मैंने मंत्री पद मांगा जिससे कि मैं लोगों की सेवा कर सकूं।
श्रीमंत ने कहा कि ऑपरेशन लोटस के दौरान उन्हें पैसों की पेशकश की गई थी। उन्होंने मुझसे पूछा कि आप कितना पैसा चाहते हैं, मैंने उनसे कहा कि मुझे पैसों की जरूरत नहीं है, मुझे सरकार में अच्छा पद दे दीजिए, मैं भाजपा में बिना पैसे लिए आया हूं।
कर्नाटक में आज से विधानसभा सत्र शुरू हो रहा है, ऐसे में सत्र से ठीक पहले श्रीमंत का यह बयान सदन में हंगामा खड़ा कर सकता है। अहम बात यह है कि जेडीएस और कांग्रेस शुरुआत से ही भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाती आई हैं लेकिन भाजपा इन तमाम आरोपों से इनकार करती रही है। गौर करने वाली बात है कि श्रीमंत पाटिल उन 16 विधायकों में से हैं जिन्होंने 2019 में कांग्रेस-जेडीएस का साथ छोड़ भाजपा का हाथ थाम लिया था।
श्रीमंत पाटिल ने 2018 के विधानसभा चुनाव में कागवाड़ से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। भाजपा में आने के बाद उन्होंने उपचुनाव में भी जीत दर्ज की जिसके बाद उन्हें बीएस येदियुरप्पा की सरकार में मंत्री बनाया गया। लेकिन जब येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तो श्रीमंत पाटिल भी मंत्री पद से हट गए। इसके बाद प्रदेश में बासवाराज बोम्मई नए मुख्यमंत्री बने। श्रीमंत पाटिल का कहना है कि मैंने बिना पैसे स्वीकार किए दल बदला था, लेकिन मुझे पता नहीं है कि मंत्री पद क्यों नहीं दिया गया। मैंने दो दशक तक खेती की है, लेकिन पिछली बार मुझे टेक्सटाइल एंड माइनॉरिटी वेलफेयर का मंत्रालय सौंपा गया था, इस जिम्मेदारी को मैंने ईमानदारीपूर्वक निभाया। मुख्यमंत्री ने मुझे भरोसा दिलाया था कि मुझे अगले मंत्रिमंडल विस्तार में जगह दी जाएगी। अगर कृषि मंत्रालय दिया जाता है तो मैं इसे और भी दक्षता से संभालूंगा और लोगों की मदद करूंगा।