ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि यानी 10 जून को विशेष संयोग पड़ने वाला है। इस दिन सूर्य और शनि का अद्भुत योग बनेगा जो इससे पहले 148 वर्ष पूर्व देखने को मिला था। शनि जयंती के दिन ही साल का पहला सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। हालांकि, इस बार लगने वाला ग्रहण भारत में बिल्कुल भी दिखाई नहीं देगा। ऐसे में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा और न किसी राशियों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। ग्रहण दोपहर एक बजकर 42 मिनट से आरंभ होकर शाम 6 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा। सूर्यग्रहण ग्रीनलैंड, उत्तर-पूर्वी कनाडा, उत्तरी अमेरिका में दिखाई पड़ेगा। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या जिन राशियों पर चल रही है उनके पास अच्छा मौका है वो शनिदेव को प्रसन्न कर सकें। ज्योतिषाचार्य डा.सुशांत राज के अनुसार, इससे पहले 26 मई, 1873 को ऐसा संयोग बना था। इस बार लगने वाला सूर्य ग्रहण, वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में पड़ेगा। इस समय वक्री शनि मकर राशि में हैं और उनकी दृष्टि मीन व कर्क राशि में विराजमान मंगल ग्रह पर है।
हनुमान भक्तों पर नहीं पड़ती शनि की बुरी नजर
धार्मिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी के भक्तों पर शनि की बुरी नजर नहीं पड़ती। ज्योतिषाचार्य डा.सुशांतराज के अनुसार, शनि तुला राशि में उच्च और मेष राशि में नीच रहते हैं। मकर और कुंभ राशि के ये स्वामी हैं। इनका वर्ण काला है और ये नीले वस्त्र धारण करते हैं। गिद्ध इनकी सवारी हैं। लोहा इनकी धातु मानी गई है।
शनिदेव हैं दंडनायक
धार्मिक मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि देव का जन्म हुआ। इस बार शनि जयंती 10 जून को है। शनि को देव और ग्रह दोनों का दर्जा है। मान्यता है कि ये पल भर में रंक को राजा और राजा को रंक बना सकते हैं। बुरे कर्म वालों के लिए दंड नायक, अच्छे कर्म वालों को आशीर्वाद देते हैं। इसलिए ये न्यायधीश और कर्मफलदाता हैं।
शनि जयंती शुभ मुहूर्त: ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 09 जून को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरू, 10 जून को शाम 04 बजकर 22 मिनट पर समाप्त।
Input : livehindustan