राजस्व मंत्री के जिले के राजस्व रिकॉर्ड में एक जमीन ऐसी जो है भगवान श्री राम के नाम

जमीन दलालों और राजस्व अमले के बीच मिलीभगत की आशंका

मामला उजागर होते ही राजस्व अमले ने सुधारी गड़बड़ी..

रायपुर। प्रदेश के राजस्व मंत्री के जिले के राजस्व रिकॉर्ड में एक जमीन ऐसी है जो भगवान श्री राम पिता दशरथ, निवासी अयोध्या के नाम पर दर्ज थी। यह मामला उजागर होते ही राजस्व अमला सक्रिय हो गया। आनन फानन में दस्तावेज की जांच के बाद जमीन मालिक का नाम बदलकर सीएसईबी का नाम दर्ज कर लिया। ऐसा कैसे हुआ इस सवाल पर राजस्व अमला गोलमोल जवाब दे रहा है।

ये अनूठा मामला कोरबा जिले से जुड़ा हुआ है, जहां सोशल मीडिया के माध्यम से बताया गया कि पुरानी बस्ती, कोरबा निवासी मनी राम आदिले की खसरा नंबर 188/2 रकबा 0.068 हेक्टेयर भूमि राजस्व रिकार्ड में उसके नाम पर दर्ज थी। मनीराम का निधन कुछ साल पहले हो गया। राजस्व रिकार्ड में वर्ष 2005 से पहले मनीराम आदिले के नाम पर यह जमीन दिख रही थी।
बाद में मनीराम आदिले का नाम बदलकर श्री राम पिता राजा दशरथ और भू-स्वामी का पता अयोध्या दर्ज कर दिया गया। इस परिवार के एक सदस्य ने बताया कि जब उसने बीते 15 फरवरी को शाम करीब 4.30 बजे उक्त जमीन का रिकार्ड ऑनलाइन निकाला तो यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया। हालांकि कुछ देर के बाद ये नाम भी गायब हो गया और निजी प्रकार की भूमि का मालिक सीएसईबी को बना दिया गया। इस मामले में राजस्व अमले और जमीन दलालों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।

हिंदी के बदले अंग्रेजी में कैसे आ गए नाम?

इस सिलसिले में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सुनील कुमार नायक से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग में सारे रिकॉर्ड हिंदी में होते हैं, मगर कंप्यूटर में भुइया के रिकॉर्ड में संबंधित खसरा नंबर में नाम अंग्रेजी में कैसे आ गए, यह आश्चर्य का विषय है। मगर जैसे ही इस बात का पता चला कि कंप्यूटर रिकॉर्ड में संबंधित जमीन भगवान राम पिता दशरथ, निवासी अयोध्या के नाम पर दर्ज है, तब जमीन के मूल दस्तावेज को चेक किया गया। इसमें जमीन सीएसईबी प्रबंधन के नाम पर दर्ज थी, इसलिए कंप्यूटर रिकॉर्ड को भी सुधार कर सीएसईबी के नाम पर कर दिया गया है।
राजस्व के रिकॉर्ड में हेरफेर करना या सुधार करना इतना आसान नहीं है। जब भी किसी दस्तावेज में बदलाव करना हो तो संबंधित पटवारी के पास मौजूद आईडी पासवर्ड और डिजिटल हस्ताक्षर से ही बदलाव किया जा सकता है। इसके अलावा संबंधित राजस्वअनुविभागीय कार्यालय और एनआईसी के रायपुर मुख्यालय में भी संबंधित पेज को खोला जा सकता है।

कंप्यूटर रिकॉर्ड में सन 2018 में छेड़छाड़ किया गया है, तब जो पटवारी थे, उन्हें नोटिस जारी किया गया है। टीआरपी को मिली जानकारी के मुताबिक उस दौरान सी एस सारथी नामक पटवारी कोरबा में पदस्थ थे, जिनके पास आई डी पासवर्ड था अब तक कोई शिकायत नहीं-

सुनील नायक एसडीएम कोरबा

सीएसईबी ने कहा – नहीं है हमारी जमीन
इस संदर्भ में जब हमने सीएसईबी प्रबंधन से बात की तो वहां रिकॉर्ड की जांच के बाद बताया गया कि पटवारी हल्का कोरबा की खसरा नंबर 188/2 की जमीन उनके पास नाम पर ही नहीं है। सीएसईबी कोरबा पूर्व में पदस्थ संपदा अधिकारी एच कुरैशी ने बताया कि पटवारी हल्का कोरबा क्षेत्र में जब सीएसईबी ने अपनी रेल रेल लाइन का निर्माण किया तब 188 /क के टुकड़े के रूप में 56 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था, इसके अलावा 188 /1 वन भूमि थी इसलिए इस भूमि को नहीं लिया गया, वहीं 188/2 क्रमांक की कोई भी जमीन सीएसईबी प्रबंधन के स्वामित्व में नहीं है। ऐसे में यह मामला उलझ कर रह गया है जहां एक ओर राजस्व विभाग ने भगवान श्री राम के नाम पर दर्ज जमीन को सीएसईबी के नाम पर कंप्यूटर रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया है वहीं दूसरी ओर सीएसईबी प्रबंधन का कहना है कि यह जमीन उनके स्वामित्व की है ही नहीं। फिलहाल सच क्या है, इसका पता लगाने के लिए राजस्व अमले को रिकॉर्ड की गंभीरता से जांच करनी होगी।

विवादों में रहा है कोरबा का राजस्व अमला

कोरबा जिले का राजस्व विभाग शुरू से ही विवादों में रहा है यहां के जैसा फर्जीवाड़ा हुआ प्रदेश में कहीं भी नहीं हुआ है। दरअसल कोरबा जिले में 100 से भी अधिक गांव मसहती यानि बिना नक्शे वाले थे, इनमें से जो गांव कोरबा शहर के आसपास के इलाके के थे, वहां जमीनों का जमकर फर्जीवाड़ा किया गया। दलालों ने राजस्व अमले के साथ मिलकर खेतों की जमीन सड़कों के किनारे सेट कर दी, और बाद में ऐसी जमीनों को ऊंची कीमत पर बेच दिया। आश्चर्य तो इस बात का है कि सर्वे के बाद जो जमीन नए जगह पर सेट की गई थी, राजस्व रिकार्ड में वैसी ही दर्ज कर दी गई। संयोग से यहां के विधायक जयसिंह अग्रवाल को प्रदेश के राजस्व मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है, मगर लगता है कि दलालों और राजस्व अमले को उनका भी खौफ नहीं है, तभी बीते दो सालों में कोरबा जिले में जमीनों के फर्जीवाड़े के दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं और संबंधित मामलों की जांच के बाद कार्रवाई भी की गई है।

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