News Edition 24 Desk: रायपुर। हिमालय की वादियों में केवल रात में ही खिलने वाले देवताओं की शक्ति व दुर्लभ ब्रह्मकमल के छत्तीसगढ़ में खिलने की खबर से इसके दर्शन करने लोगों का तांता लगा हुआ है।
बता दें कि अपनी विशेषताओं की वजह से यह दुनियाभर में लोकप्रिय है। यह एकमात्र ऐसा फूल है जिसकी पूजा की जाती है और जिसे देवताओं को नहीं चढ़ाया जाता। माना जाता है इसमें खुद देवताओं का वास रहता है। माना जाता है इस फूल के दर्शन मात्र से अनेक इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।
भानुप्रतापपुर में खिला ‘ब्रह्मकमल’
दरअसल, छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर निवासी शिव सिंह ठाकुर ने तीन साल पहले दुर्लभ ब्रह्मकमल का पौधा लगाया था। बीते दिन देर शाम को 8 बजे ब्रह्मकमल एक साथ 6 फूल खिल उठे। ब्रह्मकमल खिलने की खबर आग की तरह पूरे नगर में फैल गई, जिसके बाद दर्शन के लिए लोगों का तांता लग गया।
शिव ठाकुर के पुत्र सचिन ठाकुर ने बताया, उत्तराखंड का राजपुष्प ब्रह्मकमल हिमालय की वादियों में 3 से 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। इस दुर्लभ पुष्प का वानस्पतिक नाम सोसेरिया ओबोवेलाटा है।
दर्शन मात्र से पूरी हो जाती है मन्नत
मान्यता है कि इस फूल को देखकर जो भी मांगा जाए मिल जाता है। यह अत्यंत सुंदर चमकते सितारे जैसा आकार लिए मादक सुगंध वाला पुष्प है। ब्रह्मकमल के पौधे में एक साल में केवल एक बार ही फूल आता है जो कि सिर्फ रात्रि में ही खिलता है। इस फूल की विशेषता यह है कि जब यह खिलता है तो इसमें ब्रह्म देव तथा त्रिशूल की आकृति बन कर उभर आती है।