क्‍या सच में साल 2060 में खत्‍म हो जाएगी दुनिया, न्‍यूटन ने 1704 में ही कर दी थी भविष्‍यवाणी..

News Edition 24 Desk: दुनिया को लॉ ऑफ ग्रैविटी यानी गुरुत्‍वाकर्षण का सिद्धांत बताने वाले आइसैक न्‍यूटन ने एक ऐसी भविष्‍यवाणी भी की थी जो किसी की भी समझ से परे हो सकती है. पूरी दुनिया इस समय कई तरह के उतार-चढ़ावों से गुजर रही है. कोरोना वायरस महामारी से लेकर मौसम तक का प्रकोप दुनिया को परेशान किए हुए है. न्‍यूटन को दुनिया का महान गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी कहा जाता है. न्‍यूटन ने अपनी गणना के आधार पर बताया था कि साल 2060 तक दुनिया खत्‍म हो चुकी है. न्‍यूटन ने कुछ फॉर्मूलों के आधार पर यह बात कही थी और उनके ये फॉर्मूले पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.

1704 में की भविष्‍यवाणी

सर आइसैक न्‍यूटन ने अपने कई नोट्स और चिट्ठियों में दुनिया के खत्‍म होने का जिक्र किया था. उन्‍होंने स्‍पष्‍ट तौर पर कहा था कि अगर साल 2060 तक दुनिया बची रह गई तो ये विनाश की शुरुआत का साल होगा. न्यूटन ने दुनिया के खत्‍म होने का एक फार्मूला भी दिया था. न्यूटन ने ये भविष्‍यवाणी सन् 1704 में की थी. भविष्‍यवाणी के साथ न्यूटन का यह नोट उनकी लिखी चिट्ठियों के साथ मिला था. सन् 1727 में उनका निधन हो गया था और इसके बाद उनके लिखे सभी नोट्स, चिट्ठियां उनके घर में पाए गए.

किताब में है भविष्‍यवाणी का जिक्र

साराह ड्राई की किताब ‘द न्‍यूटन पेपर्स: द स्‍ट्रेंज एंड ट्रू ऑडायसिस ऑफ आइसैक न्‍यूटंस मैन्‍युस्क्रिप्‍ट्स’ में उनकी भविष्‍यवाणी का जिक्र विस्‍तार से है. इस किताब में उन्‍होंने लिखा है कि न्‍यूटन ने अपने जीवन में करीब 10,000 नोट्स और लेटर्स लिखे. साराह ने एक इंटरव्‍यू के दौरान बताया था कि जब इन नोट्स और लेटर्स को सन् 1800 के अंत में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी लाया गया तो ये काफी अस्‍त-व्‍यस्‍त थे. इन्‍हें सही ढंग से लगाने में 16 साल लग गए थे. सन् 1936 उनके नोट्स और चिट्ठियों की नीलामी हुई थी. इन्‍हें इंग्लैंड के अर्थशास्त्री जॉन मेयनार्ड कीन्स ने खरीद लिया. बाद में इन सभी नोट्स को जेरूशलम के एक प्रोफेसर ने ‘सीक्रेट्स ऑफ न्यूटन’ नाम से एक किताब के तौर पर पब्लिश किया था. ये किताब जेरूशलम की यूनिवर्सिटी में आज भी रखी है.

क्‍या लिखा था न्‍यूटन ने

न्‍यूटन ने एक नोट में लिखा था, ‘अगर इंसान यह सोचता है कि वह हमेशा के लिए जिंदा रहेगा तो ऐसा बिलकुल नहीं है. उनका भी समय आएगा. जब इंसान धर्म को मानना बंद कर देगा, तभी से उसका अंत शुरू हो जाएगा. दुनिया भी एक दिन खत्म हो जाएगी. दुनिया में मौजूद हर चीज कुछ समय के लिए रहेगी. एक समय आएगा, जब आधा समय रह जाएगा.’ न्यूटन ने आगे लिखा है कि उन्‍होंने एक किताब में पढ़ा था जिसें समय, और आधा समय का जिक्र किया गया था. न्यूटन ने इसी के आधार पर गणना की और उत्तर आया साढ़े तीन साल यानी 1,260 दिन. इसके बाद उन्‍होंने वैज्ञानिक गणना कर दिन को वर्ष में बदल दिया यानी 1,260 साल.


क्‍या था न्‍यूटन का फॉर्मूला

न्‍यूटन ने अपनी गणना के आधार पर कहा कि दुनिया 1260 साल में खत्म हो जाएगी. इसके बाद न्यूटन के मन में सवाल उठा कि ये 1,260 साल किस वर्ष से शुरू माने जाएं. इसके लिए उन्होंने वर्ष 800 को मानक बनाया. इसके पीछे उन्‍होंने तर्क दिया कि 800AD में रोम में धार्मिक क्रांति आई और रोम के राजा चैलीमैगन ने शासन से ऊपर पोप को स्थान दिया. न्यूटन की गणना के आधार पर 800 में 1260 को जोड़ने पर साल 2060 आया और उन्‍होंने दुनिया के अंत का साल 2060 बताया. उनका कहना था कि अगर इस समय तक दुनिया खत्‍म नहीं भी हुई तो भी उसका विनाश शुरू हो जाएगा.

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